नई दिल्ली: आज शुक्रवार को संसद में केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर संसद में बहस होगी। हो हल्ला अरोप प्रत्यारोप के बीच विपक्ष् के दावे की अग्निपरिक्षा आज संसंद में होगी । थोड़ा पीछे जा कर देखें तो इस प्रस्ताव को तीन महीने पहले सरकार ने ख़ारिज कर दिया था इसके बाद अचानक वो इसके लिए तैयार क्यों और कैसे हो गई? दूसरी तरफ यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दावा कर रहीं है कि उनके पास पर्याप्त नंबर है। इतना ही नहीं उनका दावा है कि दूसरी पार्टियां भी उनके साथ हैं।अन्नाद्रमुक ने भी समर्थन का एलान कर दिया है।
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बीजेपी नेता लगातार विपक्ष के इस दावे की हवा निकालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है। आज गिरराज सिंह ने एक बयान में राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि वो सदन में बोलेगें तो भूकंप आ जाएगा। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से अपनी जीत के दावे किये जा रहे है।
'मॉब लिंचिंग' के मुददे पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष उत्साहित है। विपक्ष के दावे में कितनी सच्चाई है इसका जबाब सदन में देने के लिए सरकार तैयार है।
शुक्रवार को लोकसभा में प्रश्नकाल नहीं होगा। यूपी के बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री फुले ने एनडीटीवी से कहा कि कि पार्टी के साथ हूं। मैं अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट दूंगी। शिवसेना ने अपने सभी सांसदों की कल सुबह 10 बजे बैठक बुलाई है। सभी सांसदों को इसमें उपस्थित रहने को कहा गया है।
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दूसरी तरफ तेलुगू देशम पार्टी विपक्ष की अगुवाई करती दिख रही है। इसके अलावा बीजू जनता दल भी न तो कांग्रेस के साथ है और न बीजेपी के साथ। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों को अपने साथ ले पाती है या अकेले ही संघर्ष करती है। वैसे तो विपक्ष की एकजुटता का नेतृत्व कांग्रेस को करना चाहिए लेकिन वहां कोई ऐसा नेता नज़र नहीं आ रहा है जो मज़बूती से सबकी बात रख सके।
आज संसद में चर्चा के लिए सभी राजनीतिक दलों को उनकी संख्या के हिसाब से समय आवंटित कर दिया गया है।
कांग्रेस 38 मिनट का समय मिला है।बीजेपी को चर्चा में तीन घंटे और 33 मिनट का समय दिया गया है। टीडीपी को 13 मिनट का समय दिया गया है। अन्नाद्रमुक को 29 मिनट का समय मिला है। तृणमूल कांग्रेस को 27 मिनट का समय मिला है । बीजू जनतादल (बीजद) का 15 मिनट का समय मिला है।तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को 9 मिनट का समय दिया गया है।
यह अविश्वास प्रस्ताव 2019 के चुनाव से पहले विपक्षी एकता के लिए इस लिए अहम है कि एनडीए को घेरन के लिए बना ये गठबंधन का आपसी तलमेल कितना सटीक है यह जग जाहिर हो जायेगा।