राज्यों को जुर्माना घटाने का नहीं है मनमाना अधिकार- विधि मंत्रालय

मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि, राज्य सरकारों को मोटर एक्ट के तहत कंपाउंडेबल अपराधों में जुर्माना घटाने का मनमाना अधिकार नहीं है।

Update:2019-12-01 11:04 IST
राज्यों को जुर्माना घटाने का नहीं है मनमाना अधिकार- विधि मंत्रालय

नई दिल्ली: विधि मंत्रालय ने सड़क मंत्रालय को मोटर एक्ट पर जुर्माना घटाने के राज्यों के अधिकार के संबंध में राय दी है। मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि, राज्य सरकारों को मोटर एक्ट के तहत कंपाउंडेबल अपराधों में जुर्माना घटाने का मनमाना अधिकार नहीं है। यदि किसी राज्य में मोटर अपराध विशेष से संबंधित सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं तो उस पर जुर्माना कम नहीं किया जा सकता।

इन राज्यों को बड़ा झटका

मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि, ये अधिकार उस राज्य में मोटर अपराध से संबंधित दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर निर्भर करता है। राज्य केवल उन्हीं उल्लंघनों में जुर्माना कम करने का अधिकार है, जिनमें सड़क हादसों का ग्राफ नीचे गिरा हो। बता दें कि, विधि मंत्रालय की ये राय गुजरात के साथ-साथ उन राज्यों के लिए एक बड़ा झटका, जिन्होंने मोटर एक्ट के तहत बढ़े जुर्माने को लागू करने से इंकार कर दिया था।

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इन राज्यों ने किया था मना

गौरतलब है कि, 1 सितंबर को लागू हुए नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जुर्माने की राशि को बढ़ाया गया था। जिसको गुजरात समेत उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल ने लागू करने से मना कर दिया था। इन राज्यों ने कंपाउंडेबल अपराधों में धारा 200 के प्रावधानों के अनुसार कम जुर्माना वसूलने का ऐलान किया था। इन के साथ उत्तर प्रदेश ने भी नए जुर्मानों की अधिसूचना को जारी करने में आनाकानी की थी।

आकंड़ों में बढ़ी मौतों की संख्या

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यों के इस तरह के रवैये पर नाराज़गी जताते हुए कहा था कि राज्य जुर्माने को घटा सकते हैं, लेकिन उन्हें लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा था कि, देश में हर साल 5 लाख सड़क दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है। बता दें कि, केंद्रीय मंत्री ने ये बात 2018 के सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े सामने आने से पहले कही थी। अब आंकड़ें आ चुके हैं और इनमें दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या में बढ़ोत्तरी के संकेत मिलते हैं।

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राज्यों को जुर्माना घटाने का मनमाना अधिकार नहीं

केंद्रीय मंत्री गडकरी के बयान के बाद सड़क मंत्रालय द्वारा विधि मंत्रालय से राय मांगी गई थी। सूत्रों के अनुसार, विधि मंत्रालय का कहना है कि किसी राज्य सरकारों को मोटर एक्ट के तहत कंपाउंडेबल अपराधों में जुर्माना घटाने का मनमाना अधिकार नहीं मिल सकता। ये उस राज्य में मोटर अपराध से संबंधित दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर निर्भर करता है। मोटर एक्ट की धारा 174 से लेकर 198 तक के अपराध कंपाउंडेबल श्रेणी में आते हैं, जिसमें पुलिस कोर्ट में चालान भेजे बिना मौंके पर ही जुर्माना वसूल सकती है।

उदाहरण के तौर पर बिना हेलमेट के पकड़े जाने पर पहली बार में 500 रुपये का चालान वसूला जाएगा। इसके बाद अगर आप दोबारा या तिबारा पकड़े जाते हैं तो 5000 रुपये तक के जुर्माने और 3 महीने की तक जेल का प्रावधान किया गया है। इसमें कोई भी राज्य तब जुर्माने की राशि को घटा सकता है, जब राज्य में बिना हेलमेट दुपहिया चालकों की मौतें कम हो रही हों। अगर मौतें कम नहीं होतीं और बढ़ती हैं तो राज्य जुर्माना नहीं घटा सकता है।

इसी तरह जिन अपराधों में जुर्माना की राशि न्यूनतम से अधिकतम निर्धारित की गई हो, उनमें राज्य को न्यूनतम से कम राशि वसूलने की आजादी नहीं है। विधि मंत्रालय का ये स्पष्ट कहना है कि, संसद द्वारा पारित कानून को उसकी भावना के अनुरूप ही लागू किया जाना चाहिए। साथ ही मोटर व्हीकल एक्ट 2019 का उद्देश्य है सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना, न कि जैसा है वैसा ही रखना या दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी को बढ़ावा देना।

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