60 साल बाद जन गण मन सुनाई दिया, इस राज्य में पहली बार बजा राष्ट्र गान

नागालैंड में अब जा कर विधानमंडल में जन गण मन की धुन सुनाई दी है। एक दिसंबर, 1963 को असम से काट कर नागालैंड को अलग राज्य का दर्जा दिया गया था।

Update:2021-02-24 10:49 IST

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। भारत में ऐसे भी राज्य रहे हैं जहाँ हाल तक विधानमंडल में राष्ट्रगान नहीं बजाया जाता था। ये राज्य हैं नागालैंड और त्रिपुरा। जी हाँ, नागालैंड में तो अब जा कर विधानमंडल में जन गण मन की धुन सुनाई दी है। एक दिसंबर, 1963 को असम से काट कर नागालैंड को अलग राज्य का दर्जा दिया गया था। अब करीब 58 साल बाद पहली बार विधानसभा के बजट अधिवेशन के दौरान सदन में राष्ट्रगान बजाया गया। यही नहीं त्रिपुरा में भी वर्ष 2018 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद ही सदन में पहली बार राष्ट्रगान बजाया गया था।

पूर्वोत्तर का इतिहास

1947 में देश की आजादी के समय नागालैंड असम का ही हिस्सा था। उसके बाद एक दिसंबर, 1963 को इसे अलग राज्य का दर्जा दिया गया। राज्य में जनवरी, 1964 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद फरवरी में पहली विधानसभा का गठन किया गया था लेकिन तबसे इस महीने तक कभी विधानसभा में राष्ट्रगान की धुन नहीं गूंजी। सदन में राष्ट्रगान बजाने पर किसी तरह की रोक नहीं थी लेकिन इसके बावजूद यहां राष्ट्रगान क्यों नहीं गाया जाता था, इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती।

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बहरहाल, विधानसभा अध्यक्ष शारिंगेन लॉन्गकुमेर ने इस महीने बजट अधिवेशन शुरू होने के मौके पर राज्यपाल के अभिभाषण से पहले राष्ट्रगान चलाने का फैसला किया। इसके लिए राज्य सरकार से भी पहले अनुमति ले ली गई थी। उसके बाद राज्यपाल के सदन में प्रवेश करने पर पहली बार राष्ट्रगान बजाया गया और मास्क पहने हुए सभी विधायकों ने एक साथ खड़े होकर इसका सम्मान भी किया। देश आजाद होने के पहले से ही पहले जातीय हिंसा और उसके बाद अलगाववादी आंदोलनों के शिकार रहे नागालैंड के लिए इसे ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है।

 

राज्यपाल के अभिभाषण से पहले राष्ट्रगान बजाने का सुझाव दिया

विधानसभा अध्यक्ष एस लॉन्गकुमेर का कहना है कि उन्होंने सदन में राज्यपाल के अभिभाषण से पहले राष्ट्रगान बजाने का सुझाव दिया था। सरकार ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। विधानसभा अध्यक्ष इस सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं करते हैं कि बाकी राज्यों की तरह नागालैंड में भी अब तक राष्ट्रगान पहले क्यों नहीं बजाया जाता था। वह कहते हैं - मैं यहां सदन में राष्ट्रगान बजाने की इस परंपरा की शुरुआत कर गर्वित महसूस कर रहा हूं। तेरहवीं विधानसभा का हिस्सा बनने के बाद से ही मैं सदन में राष्ट्रगान की कमी महसूस करता था। अध्यक्ष बनने के बाद मैंने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर राय-मशविरा किया। उनकी हरी झंडी मिलने पर सदन में इसे बजाने का रास्ता साफ हो गया।

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त्रिपुरा में हुई थी पहल

पड़ोसी राज्य त्रिपुरा की विधानसभा में भी पहली बार 23 मार्च, 2018 को राष्ट्रगान की धुन गूंजी थी। राज्य में भाजपा की सरकार का गठन होने के बाद सदन के पहले अधिवेशन में मुख्यमंत्री के कहने पर राष्ट्रगान की धुन बजाई गई थी। पहले तो मुख्यमंत्री कार्यालय में तिरंगा भी नहीं होता था लेकिन अब उसे वहां लगा दिया गया है। भाजपा का कहना है कि त्रिपुरा पर लंबे समय तक वाम दलों का शासन रहा था। शायद वाम दलों के नेता उतने राष्ट्रवादी नहीं थे इसी वजह से न तो मुख्यमंत्री दफ्तर में तिरंगा रहता था और न ही सदन में राष्ट्रगान की धुन बजाई जाती थी।

कोई जरूरी भी नहीं

संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य विधानसभा में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं है। इसे एक परंपरा के तौर पर बजाया जाता है। संविधान में ऐसा कुछ नहीं है कि जिसमें राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किया गया हो। यह तो इस गीत के सम्मान का मामला है।

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