अयोग्य ठहराए गए मंत्री नरोत्तम मिश्रा की याचिका खारिज

Update:2017-07-14 22:01 IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मंत्री की याचिका को खारिज कर दी। मंत्री ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराने के आदेश को चुनौती दी थी।

नरोत्तम मिश्रा की याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रखने वाली न्यायमूर्ति इंदरमीत कौर ने याचिका खारिज कर दी।

निर्वाचन आयोग ने चुनाव खर्च के ब्योरे में पेड न्यूज पर हुए खर्च का खुलासा न करने को लेकर 23 जून को उन्हें अयोग्य ठहरा दिया और तीन साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी।मिश्रा ने निर्वाचन आयोग के आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन उन्हें अंतरिम राहत नहीं मिली।

इसके बाद मंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए मामले की उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय से आपात सुनवाई की मांग की थी, ताकि वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए होने वाले मतदान में हिस्सा ले सकें।सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को मिश्रा को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करने के लिए कहा था।

नरोत्तम संसदीय मामलों के मंत्री हैं और विधानसभा का सत्र 17 जुलाई से शुरू हो रहा है, जिस दिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान भी है।साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान स्थानीय मीडिया को दिए गए पेड न्यूज का ब्योरा नहीं देने के लिए मिश्रा को अयोग्य ठहराते हुए आयोग ने कहा कि वह पेड न्यूज के खतरे को लेकर चिंतित है, जो चुनाव में काफी तेजी से बढ़ रहा है।

मिश्रा को अयोग्य ठहराने का आयोग का यह आदेश कांग्रेस के विधायक भारती द्वारा साल 2009 में दाखिल शिकायत पर आया है। भारत दतिया विधानसभा क्षेत्र से मिश्रा से चुनाव हार गए थे।भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तीन साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिए गए मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को दिल्ली उच्च न्यायालय से भी राहत न मिलने पर विपक्ष हमलावर हो गया है। विपक्षी नेताओं ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिश्रा को बर्खास्त किए जाने की मांग की है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संकट में फंसे मिश्रा का साथ देने की बात कह रही है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, "मुख्यमंत्री शिवराज पेड न्यूज मामले के दोषी मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मामले में अपना मौन तोड़ें। चुनाव आयोग के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय का भी स्पष्ट निर्णय आ जाने के बाद उनसे तुरंत इस्तीफा लें।" उन्होंने कहा, "अनैतिक हथकंडों से चुनाव जीतने का भाजपा से जुड़े विधायक का यह तीसरा मामला है, जो यह बताता है कि भाजपा कोई भी चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से नहीं, बल्कि हथकंडों से जीतती है।"

सिंह ने नौ साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहे मिश्रा के प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती के साहस को सराहा और कहा, "उन्होंने न्याय पाने में नरोत्तम मिश्रा के कई अड़ंगे झेले, पर अडिग रहे। यह मामला पूरी तरह से पाक साफ है। इसमें किसी भी न्यायिक मंच पर नरोत्तम मिश्रा को राहत नहीं मिलेगी। उन्हें अपना पद का मोह छोड़ देना चाहिए और संवैधानिक संस्थाओं के आदेशों का पालन करना चाहिए।"निर्वाचन आयोग का फैसला 23 जून को आया था, लेकिन मिश्रा ने न तो दतिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक पद से इस्तीफा दिया और न ही मंत्री पद से। वह राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने का दावा भी कर रहे थे।

वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि नरोत्तम मिश्रा के चुनाव को '0' घोषित किए जाने के खिलाफ उनकी तरफ से उच्च से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक में दायर याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। मिश्रा जब विधायक ही नहीं रहे, तो मंत्री कैसे रह सकते हैं। नैतिकता की बात करने वाले शिवराज को आयोग का फैसला आते ही मिश्रा को बर्खास्त कर देना चाहिए था। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा, "मिश्रा ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन उनकी याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी, तब मिश्रा को भारतीय संविधान और संसदीय लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली का सम्मान करते हुए तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

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