1911 में आज के ही दिन गाया गया था राष्ट्रगान, जानिए क्या है इतिहास और नियम

जब भी हम भारतीय जन-गण-मन की धुन सुनते है तो गर्व महसूस होता है। 27 दिसंबर का दिन और हमारे राष्ट्रगान से गहरा नाता है। आज ही के दिन पूरा देश अपने राष्ट्रगान से परिचित हुआ था।

Update: 2020-12-27 06:54 GMT
1911 में आज ही के दिन गाया गया था राष्ट्रगान, जानें क्या हैं इसका इतिहास और नियम

जब भी हम भारतीय जन-गण-मन की धुन सुनते है तो गर्व महसूस होता है। 27 दिसंबर का दिन और हमारे राष्ट्रगान से गहरा नाता है। आज ही के दिन पूरा देश अपने राष्ट्रगान से परिचित हुआ था। आज ही के दिन 'जन गण मन' पहली बार गाया गया था।

भारत के राष्ट्रगान को सबसे पहले 1905 में बंगाली भाषा में लिखा गया था। इसके हिंदी संस्करण को संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को स्वीकारा गया। बता दें, कि राष्ट्रगान गान का बंगाली से हिंदी और उर्दू में अनुवाद आबिद अली ने किया था।

रविन्द्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रगान लिखा

27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन के दौरान बंगाली और हिंदी भाषा में गाया गया था। राष्ट्रगान लिखने वाले देश के नोबल पुरस्कार प्राप्त राष्ट्रकवि गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर थे। उन्होंने वर्ष 1911 में इस गीत की रचना की थी। जिन्होंने इस राष्ट्रगान को पहले बंगाली में लिखा था।

रविन्द्रनाथ टैगोर ने अपने इस गीत का 1919 में अंग्रेजी अनुवाद ‘दि मॉर्निंग सांग ऑफ इंडिया’ किया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के विशेष अनुरोध पर अंग्रेजी संगीतकार हर्बट मुरिल्ल ने इसे ऑर्केस्ट्रा की धुनों पर भी गाया था।

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राष्ट्रीय गान का क्या है नियम

राष्ट्रीय प्रतीकों और चिन्हों की तरह राष्ट्रगान के लिए भी नियम बनाए गए। राष्ट्रगान की आचार संहिता के तहत राष्ट्रगान गाते समय नियमों और नियंत्रणों के समुच्चय को लेकर भारतीय सरकार समय-समय पर निर्देश देती है।

राष्ट्रगान को गए जाने को कुल अवधि 52 सेकेंड है। जिसे 49 से 52 सेकेंड के बीच ही गया जाना चाहिए। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है। इसमें प्रथम और अंतिम पंक्तियां ही बोलते हैं। इसमें लगभग 20 सेकेंड का समय लगता है।

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