मोदीजी जान बचाओः कोरोना से लड़ाई में जान गंवा रहे निजी डॉक्टर्स, नहीं मिल पाता इलाज
भारतीय चिकित्सा संगठन यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि देश में अभी तक कुल 196 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच भारत में डॉक्टरों की जान भी खतरे में आ गई है। जो डॉक्टर मरीजों की सेवा और उनको ठीक करने में लगे हुए हैं उनके अलावा जनरल प्रैक्टिशनर्स भी कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने लगे हैं। भारतीय चिकित्सा संगठन यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि देश में अभी तक कुल 196 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। इनमें ज्यादातर जनरल प्रैक्टिशनर्स शामिल हैं। आईएमए ने प्रधानमंत्री मंत्री को चिट्ठी लिखकर इस ओर ध्यान देने का आग्रह किया है।
देश 196 डॉक्टरों को खो दिया- आईएमए
आईएमए ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में डॉक्टरों के जीवन की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए एक बयान में कहा, “आईएमए की तरफ से इकट्ठा किए गए ताजा आंकड़े के मुताबिक हमारे देश ने 196 डॉक्टरों को खो दिया। जिनमें से 170 की उम्र 50 साल से अधिक थी। इनमें 40 फीसदी जनरल प्रैक्टिशनर्स थे।" आईएमए का कहना है कि बुखार और इससे जुड़े लक्षणों के लिए ज्यादा संख्या में लोग जनरल प्रैक्टिशनर्स से संपर्क करते हैं और इसलिए वे पहला संपर्क बिंदु होते हैं।
ये भी पढ़ें- वायरल महिला दरोगा: ऑडियो से पुलिस महकमे में मचा हड़कंप, बयां किया अपना दर्द
निजी क्लीनिक या फिर अस्पताल में आम मरीजों को डॉक्टरों से मिलने के पहले शरीर का तापमान लिया जाता है और कोरोना से संबंधित सवाल किए जाते हैं। हालांकि कई बार मरीज को भी पता नहीं होता है कि उसके शरीर के अंदर वायरस है।
वायरस ने नहीं करता भेदभाव- IMA
आईएमए का कहना है कि कोरोना वायरस निजी और सरकारी डॉक्टरों के बीच भेदभाव नहीं करता है। आईएमए ने अपने पत्र में लिखा है कि डॉक्टरों और उनके परिवारों को अस्पताल में बेड नहीं मिलने और दवाओं की कमी के बारे में परेशान कर देने वाली रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं।
ये भी पढ़ें- लाल किले पर 4 हजार लोग: कोरोना संकट में सबसे बड़ा समारोह, की गयी ख़ास तैयारी
आईएमए महामारी के समय में सरकार से डॉक्टरों की सुरक्षा और देखभाल पर और अधिक ध्यान देने की अपील करता है। आईएमए देश के साढ़े तीन लाख डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक प्रभावशाली संगठन है।