कांग्रेस में फेरबदल: राहुल की ताजपोशी का रास्ता साफ, पसंदीदा लोगों को तरजीह
सोनिया गांधी ने संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए राहुल की पसंद का पूरा ख्याल रखा है और महासचिव पद से बुजुर्ग नेताओं का पत्ता साफ कर दिया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: कांग्रेस संगठन में किए गए बड़े बदलाव से साफ है कि पार्टी में एक बार फिर अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी की ताजपोशी की जमीन तैयार की जा रही है। पार्टी में स्थायी और सक्रिय नेतृत्व को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद संगठन में यह पहला बदलाव किया गया है। पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी ने संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए राहुल की पसंद का पूरा ख्याल रखा है और महासचिव पद से बुजुर्ग नेताओं का पत्ता साफ कर दिया है। एक बात और काबिले गौर है कि नए अध्यक्ष चुनने में सोनिया की मदद के लिए जिन नेताओं की कमेटी बनाई गई है, वे सभी गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं।
आजाद को सबसे बड़ा झटका
कांग्रेस संगठन में किए गए फेरबदल में सबसे बड़ा झटका अभी तक पार्टी के महासचिव और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को लगा है। उन्हें महासचिव पद से हटा दिया गया है।
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गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने सोनिया गांधी को पार्टी में बदलाव की मांग को लेकर 7 अगस्त को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में पार्टी में ऐसी फुल टाइम लीडरशिप की मांग की गई थी जो फील्ड में सक्रिय होने के साथ ही असरकारक भी साबित हो।
सलाहकार समिति में भी जगह नहीं
सीडब्ल्यूसी की पिछली बैठक में राहुल गांधी के कथित बयान का विरोध करने वालों में गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल सबसे आगे थे। आजाद ने बाद में मीडिया से बातचीत में यह भी कहा था कि यदि कांग्रेस में बदलाव नहीं किया गया तो अगले 50 साल तक पार्टी को विपक्ष में ही बैठना पड़ सकता है।
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अब गुलाम नबी आजाद के पर कतर दिए गए हैं और जानकार सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि उन्हें अब दोबारा राज्यसभा का टिकट मिल पाना भी मुश्किल है। सोनिया गांधी की मदद के लिए बनाई गई सलाहकार समिति में भी आजाद को जगह नहीं मिली है।
महासचिव पद से इनकी हुई छुट्टी
आजाद के अलावा मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और लुइजिन्हो फैलेरियो की भी महासचिव पद से छुट्टी कर दी गई है। हालांकि इन्हें हटाने के पीछे उम्र को बड़ा कारण बताया जा रहा है। गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाने वाले मोतीलाल वोरा अब 92 साल के हो चुके हैं जबकि अंबिका सोनी भी 77 साल की हो चुकी हैं।
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पिछली लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे मलिकार्जुन खड़गे 78 साल के हो चुके हैं। वे पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे लुइजिन्हो फैलेरियो की उम्र 69 साल है। पार्टी में रणदीप सुरजेवाला, तारिक अनवर और जितेंद्र सिंह को नया महासचिव बनाया गया है।
सलाहकार समिति में भरोसेमंदों के नाम
कांग्रेस में बदलाव की मांग को लेकर लिखी गई चिट्ठी के बाद सोनिया ने कार्यसमिति में दिए गए आश्वासन के अनुरूप 6 सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया है। यह समिति कांग्रेसी अध्यक्ष को कामकाज में मदद करेगी। इस समिति में चिट्ठी लिखने वाले किसी भी नेता को जगह नहीं मिली है।
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जानकारों का कहना है कि यही समिति और राहुल गांधी की ताजपोशी और पार्टी संगठन में नए बदलावों की जमीन तैयार करेगी। इस समिति में सोनिया गांधी के भरोसेमंद माने जाने वाले अहमद पटेल, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को शामिल किया गया है। गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाली अंबिका सोनी भी इस कमेटी की सदस्य होंगी।
प्रियंका को पूरे यूपी की कमान
कांग्रेस कार्यसमिति के पुनर्गठन में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, तारिक अनवर, रणदीप सुरजेवाला और जितेंद्र सिंह को जगह दी गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की 2 साल बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी में वापसी हुई है। उन्हें स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। आजाद के साथ ही पत्र लिखने वाले आनंद शर्मा समिति के नियमित सदस्य बने रहेंगे।
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पहले विशेष आमंत्रित सदस्य जितिन प्रसाद अभी स्थायी आमंत्रित सदस्य होंगे। उत्तर प्रदेश में 2 साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए प्रियंका गांधी को पूरे उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में जान फूंकने के लिए यह कदम उठाया गया है। प्रियंका यूपी के मुद्दों को लेकर इन दिनों काफी सक्रिय भी हैं।
कई राज्यों के प्रभारी बदले
कई राज्यों के प्रभारी महासचिव बदले गए हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला को कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया है जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ ही अंडमान निकोबार द्वीप समूह का प्रभारी बनाया गया है। राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश और पवन बंसल को बतौर प्रभारी मोतीलाल वोरा की जगह कांग्रेस मुख्यालय के प्रशासन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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राहुल गांधी के करीबी मणिक्कम टैगोर को तेलंगाना का प्रभार सौंपा गया है। मुकुल वासनिक को मध्य प्रदेश, हरीश रावत को पंजाब, तारिक अनवर को केरल और लक्षद्वीप, ओमन चांडी को आंध्र प्रदेश और जितेंद्र सिंह को असम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आरपीएन सिंह झारखंड, अजय माकन राजस्थान और पीएल पुनिया छत्तीसगढ़ में पार्टी के प्रभारी बने रहेंगे। चार राज्यों के प्रभारी हटा दिए गए हैं। अनुग्रह नारायण सिंह (उत्तराखंड), आशा कुमारी (पंजाब), रामचंद्र कुटिया (तेलंगाना) और गौरव गोगोई (त्रिपुरा-मणिपुर) को प्रभारी पद से हटा दिया गया है।
सचिन पायलट को कोई जिम्मेदारी नहीं
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सचिन पायलट को अभी पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। गहलोत के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले सचिन बाद में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत कर एक बार फिर घर वापसी के लिए तैयार हो गए थे। माना जा रहा है कि नेतृत्व उन्हें अभी कुछ और समय ताक पर रखना चाहता है और उसके बाद ही सचिन पायलट को कोई जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
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पार्टी हाईकमान की ओर से केंद्रीय चुनाव समिति के गठन से असंतुष्ट नेताओं के साथ ही पार्टी काडर को यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि अगले छह महीनों के दौरान पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया जाएगा। मधुसूदन मिस्त्री को इस चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि राजेश मिश्रा, कृष्णा बायरागौड़ा, एस ज्योति मणि और अरविंदर सिंह लवली को इस समिति का सदस्य बनाया गया है।
राहुल की दोबारा ताजपोशी की जमीन तैयार
जानकार सूत्रों का कहना है कि अभी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान सोनिया गांधी के हाथों में ही रहेगी। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगले साल की शुरुआत में कांग्रेस शासित पंजाब या छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन आयोजित किया जा सकता है।
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कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस अधिवेशन के दौरान राहुल गांधी की दोबारा ताजपोशी तय है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से किए गए बदलावों से भी साफ है कि राहुल गांधी की दोबारा ताजपोशी के लिए जमीन तैयार की जा रही है।