निर्भया केस: डेथ वॉरंट पर कोर्ट का बड़ा फैसला, दोषियों को फांसी...

पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के एक अन्य दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान दोषियों की फांसी पर स्टे लगा दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद अब साफ है कि दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं होगी।

Update:2020-01-16 15:59 IST

नई दिल्ली: पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के एक अन्य दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान दोषियों की फांसी पर स्टे लगा दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद अब साफ है कि दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि जेल अधिकारियों को सिर्फ मुझे यह रिपोर्ट देनी होगी कि हम उन्हें 22 जनवरी को फांसी नहीं देंगे।

कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलील मानते हुए कहा कि दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि उनकी दया याचिका राष्ट्रपति और दिल्ली के उपराज्यपाल के पास लंबित है।

कोर्ट ने कहा कि दया याचिका लंबित होने की वजह से डेथ वॉरंट पर स्वतः ही रोक लग गई है। कोर्ट ने कहा कि नई तारीख क्या होगी, जेल अथॉरिटीज के जवाब से तय होगा। पटिलाया हाउस कोर्ट ने ही 7 जनवरी को दोषियों के लिए डेथ वॉरंट जारी किया था।

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दिल्ली सरकार ने गुरुवार को कोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल की जिसमें कहा गया है कि हमने मुकेश की अर्जी को खारिज कर एलजी के पास भेज गई है। अब कोर्ट ने जो विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, उसमें सभी जानकारियों को दिल्ली सरकार और जेल अथॉरिटी को कोर्ट में देना होगी।

निर्भया के चार दोषियों में एक मुकेश ने कोर्ट से डेथ वॉरंट रद्द करने की अपील की थी। उसने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में भी यही अपील की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी अर्जी स्वीकार नहीं की और निचली अदालत जाने का निर्देश दिया था। मुकेश की अपील पर पटिलाया हाउस कोर्ट ने दिल्ली सरकार और निर्भया के माता-पिता की राय मांगी थी।

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मुकेश ने अपनी याचिका में कहा कि उसकी दया याचिका दिल्ली के उपराज्यपाल और देश के राष्ट्रपति के पास लंबित है। ऐसे में 22 जनवरी को फांसी देने के लिए जारी डेथ वॉरंट रद्द किया जाए।

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हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता है, क्योंकि जेल नियमों के तहत किसी एक मामले में एक से ज्यादा दोषियों को मौत की सजा दी गई हो तो जब तक एक भी दोषी की दया याचिका लंबित हो तो उसकी याचिका पर फैसला आने तक किसी भी दोषी को फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता है।

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