10 मार्च को नीति आयोग पेश करेगा दीर्घकालीन विकास का तीसरा संस्करण
नीति आयोग 10 मार्च को भारत दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) का तीसरा संस्करण जारी करेगाI वर्ष 2018-19 में जारी पहले संस्करण में 13 उद्देश्यों, 39 लक्ष्यों और 62 सूचकों का विवरण था, जबकि दूसरे संस्करण में 17 उद्देश्य, 54 लक्ष्य और 100 सूचक थे। तीसरे संस्करण में 17 उद्देश्य, 70 लक्ष्य और 115 सूचक हैं।
नई दिल्ली: नीति आयोग 10 मार्च को भारत दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) का तीसरा संस्करण जारी करेगाI वर्ष 2018-19 में जारी पहले संस्करण में 13 उद्देश्यों, 39 लक्ष्यों और 62 सूचकों का विवरण था, जबकि दूसरे संस्करण में 17 उद्देश्य, 54 लक्ष्य और 100 सूचक थे। तीसरे संस्करण में 17 उद्देश्य, 70 लक्ष्य और 115 सूचक हैं।
सूचकांक को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका
संकेतकों के चयन से पहले सांख्यिकी कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हितधारकों के साथ आपसी तालमेल के साथ परस्पर विचार विमर्श होता है। चयन प्रक्रिया संकेतकों की मसौदा सूची पर मिली टिप्पणियों और सुझावों को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा जाता है।
इस स्थानीयकरण साधन के अनिवार्य हितधारक एवं अंग रूप में, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने स्थानीयकरण की समझ और जमीनी अनुभव के साथ मिली प्रतिक्रियाओं का इसमें समावेश करने के साथ ही इस सूचकांक को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है।
2018 में यह सूचकांक शुरू किया गया
पहली बार दिसम्बर 2018 में यह सूचकांक शुरू किया गया था। यह अब देश में दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी करने का एक प्राथमिक साधन है और इसने केंद्र और राज्यों के बीच विकास की प्रतिस्पर्धा को आगे बढाया है ।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार को इसे जारी करेंगेI इस अवसर पर उनके साथ नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त, राष्ट्र संघ की रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर रेनेटा लोक-देसिलियाँ और भारत में यूएनडीपी की रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव शोको नोडा भी उपस्थित रहेंगी।
नीति आयोग द्वारा प्रतिपादित एवं विकसित इस सूचकांक को इसके निर्माण की प्रक्रिया में शामिल मूल हितधारकों में केंद्र और राज्य सरकारें, भारत में संयुक्त राष्ट्र की कार्यरत संस्थाएं,सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और अन्य प्रमुख मंत्रालय शामिल हैंI
एसडीजी भारत सूचकांक और डैशबोर्ड 2020-21 : सक्रियता के दशक में भागीदारी
यह सूचकांक वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अब तक राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर हुई प्रगति का मूल्यांकन करता है और यह स्थायित्व, दृढ़ता और सहयोग के संदेश को आगे बढाने में सफल रहा हैI 2030 तक के लिए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अब तक एक तिहाई यात्रा कर चुके इन प्रयासों के बाद सूचकांक की यह रिपोर्ट सहभागिता के महत्व पर केन्द्रित है और इसका शीर्षक है: ‘’एसडीजी भारत सूचकांक और डैशबोर्ड 2020-21 : सक्रियता के दशक में भागीदारीI’’
हर नए संस्करण में कार्य निष्पादन में उत्कृष्टता के स्तर का निर्धारण करने और अब तक हुई प्रगति का आकलन करने के अलावा केंद्र और राज्यों से मिले आंकड़ों को अद्यतन रखने का प्रयास किया जाता है. वर्ष 2018-19 में जारी पहले संस्करण में 13 उद्देश्यों, 39 लक्ष्यों और 62 सूचकों का विवरण था, जबकि दूसरे संस्करण में 17 उद्देश्य, 54 लक्ष्य और 100 सूचक थे। तीसरे संस्करण में 17 उद्देश्य, 70 लक्ष्य और 115 सूचक हैं।
स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की आवश्यकता
सूचकांक का निर्माण और इसके लिए प्रयुक्त होने वाली कार्यप्रणाली एसडीजी पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कार्य निष्पादन का आकलन करने के साथ ही उनकी योग्यता क्रम के निर्धारण करने के केंद्रीय उद्देश्यों को मूर्त रूप देती है; ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने में और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता देने और उनके बीच स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
ये भी पढ़े....महाराष्ट्र में लॉकडाउन! उद्धव सरकार की अहम बैठक, हो सकता है बड़ा एलान
सूचकांक 2030 एजेंडा
बता दें सूचकांक अनुमान 17वें लक्ष्य के लिए गुणात्मक मूल्यांकन के साथ पहले 16 लक्ष्यों के लिए आंकड़ों पर आधारित है। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप यह सूचकांक 2030 एजेंडा के तहत वैश्विक प्राथमिकताओं की व्यापक प्रकृति की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
सूचकांक का मॉड्यूलर स्वभाव स्वास्थ्य और शिक्षा, लिंग, आर्थिक विकास, संस्थानों, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सहित लक्ष्यों की व्यापक प्रकृति पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की प्रगति के लिए एक नीतिगत साधन और दिग्दर्शक है।
ये भी पढ़ें : उमर अब्दुल्ला: जम्मू-कश्मीर के सबसे युवा मुख्यमंत्री, राजनीति में ऐसे बने धुरंधर