नितिन गडकरी बोले, नेतृत्व को हार की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए
तीन राज्यों में हार के बाद बीजेपी में विरोध की आवाज धीरे धीरे सामने आने लगी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इशारों इशारों में कहा कि नेतृत्व को हार और विफलता की जिम्मेदारी भी स्वीकार करनी चाहिए। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सफलता की तरह कोई विफलता की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता।
नई दिल्ली: तीन राज्यों में हार के बाद बीजेपी में विरोध की आवाज धीरे धीरे सामने आने लगी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इशारों इशारों में कहा कि नेतृत्व को हार और विफलता की जिम्मेदारी भी स्वीकार करनी चाहिए। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सफलता की तरह कोई विफलता की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता।
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'सफलता के कई पिता, विफलता अनाथ'
गडकरी ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, 'सफलता के कई पिता होते हैं लेकिन विफलता अनाथ है। सफलता का श्रेय लेने के लिये लोगों में होड़ मची रहती है, लेकिन विफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता है। सभी दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं।'
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'असफलता होती है तो कमिटी बैठती है'
पुणे जिला शहरी सहकारी बैंक असोसिएशन लिमिटेड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नितन गडकरी ने ये बाते कहीं। उन्होंने कहा कि राजनीति में जब असफलता होती है तो कमिटी बैठती है, लेकिन सफलता की स्थिति में कोई आपसे कुछ भी पूछने नहीं आता।' गौरतलब है कि हाल ही हुए चुनावों में बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपनी सत्ता गंवा दी है। इन तीनों राज्यों में अब कांग्रेस की सरकार है।
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'नेतृत्व में हार की जिम्मेदारी लेने की प्रवृत्ति हो'
गडकरी ने कहा कि नेतृत्व में हार की जिम्मेदारी लेने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 'संगठन के प्रति नेतृत्व की वफादारी तब तक साबित नहीं होगी, जब तक वह हार की जिम्मेदारी नहीं लेता।' बीजेपी नेता ने कहा कि राजनीति में किसी राज्य या लोकसभा चुनावों में हार के बाद हारा हुआ कैंडिडेट घबराने लगता है और शिकायत करने लगता है कि उसे पर्याप्त समर्थन नहीं मिला।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक नेता तभी हारता है जब या तो उसकी पार्टी कहीं चूक रही होती है या वह खुद लोगों का भरोसा जीतने में असफल होता है। गडकरी ने कहा कि हारे हुए प्रत्याशी को मेरी यही सलाह है है कि इसके लिए दूसरों पर दोष नहीं मढ़े।