NPR पर केंद्र सरकार का बड़ा बयान, किसी भी दस्तावेज की नहीं होगी जरुरत
बुधवार को गृह मंत्रालय की ओर से ये साफ किया गया है कि घर-घर सर्वे के दौरान किसी को भी NPR में अपना नाम अपडेट करने के लिए दस्तावेज देने की जरुरत नहीं होगी।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के बीच इस पर केंद्र सरकार का एक बड़ा बयान सामने आया है। बुधवार को गृह मंत्रालय की ओर से ये साफ किया गया है कि घर-घर सर्वे के दौरान किसी को भी NPR में अपना नाम अपडेट करने के लिए दस्तावेज देने की जरुरत नहीं होगी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, NPR अपडेट करने के लिए घर-घर जाकर होने वाले सर्वे में लोग जो भी जानकारी मुहैया कराएंगे, उसे स्वीकार कर लिया जाएगा।
गृह मंत्रालय 'द हिंदू' की खबर को गलत करार दिया
गृह मंत्रालय की ओर से कल एक ट्वीट जारी किया गया है, जिसमें NPR (National Population Register) को लेकर द हिंदू में छपी खबर का खंडन किया गया है। ट्वीट में कहा गया है कि, द हिंदू में छपी खबर में जो जानकारी दी गई है वो गलत है। ये खबर NPR की प्रक्रिया की सही जानकारी के बगैर छापी गई है। बता दें कि, द हिंदू ने ये खबर प्रकाशित की थी कि, एनपीआर ट्रायल फॉर्म को रोलआउट के लिए सरकारी मंजूरी मिली। गृह मंत्रालय ने इस खबर को गलत करार दिया है।
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एनपीआर में किसी भी दस्तावेज को दिखाने की जरुरत नहीं
गृह मंत्रालय की ओर से एक बार फिर ये साफ किया गया है कि एनपीआर सर्वे के लिए किसी को भी किसी भी तरह के दस्तावेज को दिखाने की जरुरत नहीं है। लोग घर-घर होने वाले सर्वे में जो जानकारी मुहैया कराएंगे, उसे स्वीकार किया जाएगा। बता दें कि 24 दिसंबर को हुई मोदी कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी गई है।
साथ ही एनपीआर को अपडेट करने के काम के लिए 8,500 करोड़ रुपये के फंड को भी मंजूरी दे दी गई है। जानकारी के मुताबिक, एनपीआर के तहत देश में एक ही जगह पर छह महीने या उससे ज्यादा वक्त तक रहने वाले हर नागरिक को अनिवार्य रूप से अपना नाम दर्ज करवाना होगा।
इसी साल शुरु होगी प्रक्रिया
बता दें कि इसी साल से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की प्रक्रिया प्रक्रिया तीन चरणों में होगी। इसके पहले चरण की शुरुआत एक अप्रैल 2020 से होगी। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एक तरह से देश के नागरिकों का रजिस्टर होगा। इससे पहले 10 साल पहले साल 2010 में ये डाटा इकट्ठा किया गया था। NPR की पहल सबसे पहले 2010 में UPA सरकार ने की थी। तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था। अब फिर 2021 में जनगणना होनी है।
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क्या है NPR?
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के अंदर 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना NPR का खास काम है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी।
कितना आएगा खर्चा
कैबिनेट से जनगणना 2021 के लिए 8,754।23 करोड़ और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के अपडेशन के लिए 3,941।35 करोड़ की मंजूरी मिली है।
NRC से कितना अलग है NPR?
NPR और NRC में अंतर है। NRC के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का उद्देश्य है, वहीं 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NPR में अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। कोई भी व्यक्ति देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है, तो उसे उसी जगह NPR में अपनी डिटेल दर्ज करानी होगी।
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