एनसीआर में 2.5 लाख फ्लैट खरीदारों को आईटी नोटिस

Update: 2018-09-14 07:05 GMT
एनसीआर में 2.5 लाख फ्लैट खरीदारों को आईटी नोटिस

नोएडा: प्रॉपर्टी में कालाधन खपाने का मुफीद स्थान समझने वाले खरीदारों की मुसीबत बढऩे जा रही है, क्योंकि आयकर विभाग ने एनसीआर में करीब 2.5 लाख फ्लैट खरीदारों को नोटिस जारी कर दिया है। इस नोटिस में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, गाजियाबाद, राजनगर एक्सटेंशन, बुलंदशहर ही नहीं, बल्कि सहारनपुर व अलीगढ़ तक में खरीदारों के नाम शामिल है। जिनसे विभागीय अधिकारियों ने फ्लैट खरीद में सोर्स ऑफ इनकम की जानकारी मांगी है। आयकर विभाग के अधिकारी इसे सामान्य प्रक्रिया बताते हैं। उनका कहना है कि 30 लाख रुपये से ऊपर की प्रत्येक खरीद पर विभाग की ओर से खरीदारों को नोटिस भेजा ही जाता है। इसमें व्यक्ति को विभाग में आकर मांगी गई जानकारी उपलब्ध करानी होती है। सही होने पर उसकी फाइल को बंद कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के जरिए विभाग अपने टैक्स पेयर की संख्या को भी प्रति वर्ष बढ़ाता है।

यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र की कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के सीएम के खिलाफ जारी किया गैर जमानती वारंटएनसीआर की सबसे महंगी प्रॉपर्टी नोएडा गाजियाबाद में है, यहां पर बहुत से लोगों ने निवेश कर रखा है। माना जा रहा है कि तमाम बिल्डरों के पास कालाधन भी खपाया गया है। बिल्डरों ने निवेशकों की रकम प्रोजेक्ट में लगा उसे एक नंबर का पैसा बताया फिर कुछ समय बाद प्रोजेक्ट को घाटे में दिखाया जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि नोएडा गाजियाबाद जैसी जगहों पर बहुत से लोगों ने फ्लैट के नाम पर बेनामी संपत्ति भी जमा कर रखी है।

हाल ही आयकर विभाग के अधिकारियों को कुछ लीड भी मिली है। जिसके बाद विभाग के अधिकारियों ने वार्षिक रूप में निबंधन विभाग की ओर से आयकर विभाग को भेजी जाने ऐसे में वर्ष 2011 से 2017 में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट सहित गाजियाबाद, राजनगर एक्सटेंशन, बुलंदशहर, सहानरपुर, अलीगढ़ तक जितने भी फ्लैट खरीदे-बेचे गए हैं और जिनकी कीमत 30 लाख रुपये से ऊपर है, उन सभी खरीदारों को विभाग ने नोटिस जारी किया है। इसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में करीब एक लाख और इतने ही फ्लैट गाजियाबाद, राजनगर एक्सटेंशन में शामिल है। बुलंदशहर, सरहारनपुर और अलीगढ़ तक करीब 50 हजार फ्लैट खरीदार है।

आयकर विभाग ने खरीदारों से पूछा है कि उनकी सोर्स ऑफ इनकम क्या है। यह जानकारी एक माह के अंदर कार्यालय पर जमा करने को कहा गया है। यदि जानकारी देने में आनकानी की तो विभाग की ओर से आगे की कार्रवाई की बात कही गयी है।

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