जम्मू-कश्मीर से 370 खत्म, लेकिन इन राज्यों में अभी भी नहीं खरीद सकते हैं जमीन

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाला आर्टिकल 370 खत्म कर दिया है। जम्मू-कश्मीर राज्य को 2 केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटे जाने संबंधी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक बिल लोकसभा में पास हो गया है।

Update: 2019-08-06 15:16 GMT

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाला आर्टिकल 370 खत्म कर दिया है। जम्मू-कश्मीर राज्य को 2 केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटे जाने संबंधी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक बिल लोकसभा में पास हो गया है। इससे पहले को इस बिल राज्यसभा ने मंजूरी दी। पक्ष में 366 वोट पड़े, तो वहीं बिल के खिलाफ 66 वोट पड़े।

इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में जमीन देश के दूसरे हिस्सों के लोग खरीद सकते हैं। हालांकि, अभी भी कुछ जगहें ऐसी हैं जहां अनुच्छेद 370 न सही, 371 और उसके 'क्लोन' लागू हैं जिनसे उन जगहों पर संपत्ति खरीदना बाकी भारतीयों के लिए मुमकिन नहीं है।

यह भी पढ़ें…अनुच्छेद 370: बोले अमित शाह, 370 से सिर्फ तीन परिवारों का भला हुआ

संविधान के इस प्रावधान से ऐसे किसी भी व्यक्ति को नागालैंड में जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है, जो वहां के स्थायी नागरिक नहीं हैं। यहां जमीनें सिर्फ राज्य के आदिवासी ही खरीद सकते हैं।

अनच्छेद 371F

भारतीय संघ में सबसे आखिर में साल 1975 में शामिल हुए सिक्कम को भी संविधान में कई अधिकार हैं। आर्टिकल 371F ने राज्य सरकार को पूरे राज्य की जमीन का अधिकार दिया है, चाहे वह जमीन भारत में विलय से पहले किसी की निजी जमीन ही क्यों न रही हो। दिलचस्प बात यह है कि इसी प्रावधान से सिक्कम की विधानसभा चार साल की रखी गई है जबकि इसका उल्लंघन साफ देखने को मिलता है। यहां हर 5 साल में ही चुनाव होते हैं।

यह भी पढ़ें…370 हटने के बाद पहली बार बोले फारूक अब्दुल्ला, जाएंगे कोर्ट, लगाया ये बड़ा आरोप

यही नहीं, आर्टिकल 371F में यह भी कहा गया है, 'किसी भी विवाद या किसी दूसरे मामले में जो सिक्किम से जुड़े किसी समझौते, एन्गेजमेंट, ट्रीटी या ऐसे किसी इन्स्ट्रुमेंट के कारण पैदा हुआ हो, उसमें न ही सुप्रीम कोर्ट और न किसी और कोर्ट का अधिकारक्षेत्र होगा।' हालांकि, जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति के दखल की इजाजत है।

अनच्छेद 371G

इस आर्टिकल के तहत मिजोरम में भी सिर्फ वहां के आदिवासी ही जमीन के मालिक हो सकते हैं। हालांकि, यहां प्राइवेट सेक्टर के उद्योग खोलने के लिए राज्य सरकार मिजोरम (भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन) ऐक्ट 2016 के तहत भूमि अधिग्रहण कर सकती है। आर्टिकल 371A और 371G के तहत संसद के आदिवासी धार्मिक कानूनों, रिवाजों और न्याय व्यवस्था में दखल देने वाले कानून लागू करने के अधिकार सीमित हैं।

यह भी पढ़ें…आजादी की जंग: अहम हिस्सों का ऐसा किस्सा, जिसने रच दिया अवध का इतिहास

आर्टिकल 371

हिमाचल प्रदेश में सिर्फ वहां रहने वाले लोगों को ही कृषि भूमि खरीदने का अधिकार है, जबकि यहां बीजेपी की ही सरकार है।

अनुच्छेद 371A

संविधान के इस प्रावधान के तहत नागालैंड का नागरिक ही वहां जमीन खरीद सकता हैं। देश के अन्य राज्यों के व्यक्ति को नागालैंड में जमीन खरीदने का अधिकार नहीं है। 371A के तहत नगालैंड के मामले में नगाओं की धार्मिक या सामाजिक परंपराओं, इसके पारंपरिक कानून और प्रक्रिया, नागा परंपरा कानून के अनुसार फैसलों से जुड़े दीवानी और फौजदारी न्याय प्रशासन और भूमि तथा संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण के संदर्भ में संसद की कोई भी कार्यवाही लागू नहीं होगी।

Tags:    

Similar News