यूपी में 1192 लोगों पर सिर्फ एक वर्दीवाला, जबकि VIP के लिए 1500 और कमांडो की भर्ती
नई दिल्ली : सरकार केंद्रीय मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए), कुछ मुख्यमंत्रियों और आरएसएस प्रमुख जैसे वीआईपी को सुरक्षा प्रदान करने वाले विशेष सुरक्षा समूह (एसएसजी) के कार्यबल में 125 फीसदी वृद्धि करने जा रही है। अब तक इसमें 1200 कमांडो थे और अब इसमें 1500 और कमांडो भर्ती किए जाएंगे।
एसएसजी, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) जैसा एक विशेष बल है जो अर्धसैनिक बल केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) का एक दस्ता है, वर्तमान में इस समूह में 1,200 कमांडो हैं और सरकार इसमें 1500 कमांडो और भर्ती करने जा रही है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि संख्या को बढ़ाने की मंजूरी दिसंबर के अंत तक या जनवरी की शुरुआत में होने की उम्मीद है।
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सीआईएसएफ द्वारा एसएसजी विंग में 1500 से ज्यादा कर्मियों को शामिल करने के लिए मंत्रालय से अनुरोध किया गया था, जिसके बाद यह निर्णय गृह मंत्रालय की सीमा प्रबंधन प्रभाग के साथ एक महीने से ज्यादा समय तक लंबित रहा।
एनएसजी कमांडो के समकक्ष प्रशिक्षित एसएसजी कमांडो वर्तमान में पूरे भारत में 75 वीआईपी को 'जेड प्लस', 'जेड', 'वाई प्लस', 'वाई' और 'एक्स' श्रेणियों के तहत सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।
जिन लोगों को एसएसजी सुरक्षा दी जा रही है उनमें केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू, संचार मंत्री मनोज सिन्हा, एनएसए अजित डोवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के नौ बार के सांसद कमलनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल शामिल हैं।
सीआईएसएफ के अधिकारियों ने कहा कि संख्या बढ़ने पर यह कर्मी 2018 के अंत तक सभी वीआईपी की सुरक्षा जिम्मेदारियों को संभालेंगे। इन वीआईपी लोगों की सुरक्षा का जिम्मा वर्तमान में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कर्मियों पर है।
गृह मंत्रालय ने 23 नवंबर को सीआईएसएफ से वीआईपी सुरक्षा जिम्मेदारी संभाल रहे आईटीबीपी और सीआरपीएफ से जिम्मेदारी लेने के लिए कहा था।
2018 के अंत तक, केवल सीआईएसएफ और एनएसजी ही देश में वीआईपी लोगों को सुरक्षा प्रदान करेगी। एलीट स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करता है।
आदेशानुसार, सीआरपीएफ और आईटीबीपी द्वारा प्रदान की जा रही 92 वीआईपी की सुरक्षा की जिम्मेदारी चरणबद्ध तरीके से एसएसजी को दी जाएगी, जिसे इस उद्देश्य के लिए 2006 में स्थापित किया गया था।
अब तक, सीआरपीएफ 75 वीआईपी को सुरक्षा प्रदान करता है, जबकि आईटीबीपी 17 अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा करती है।
संख्या वृद्धि के बाद, एसएसजी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कश्मीर मुद्दे के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा, राजद प्रमुख लालू प्रसाद और रिलायंस के अध्यक्ष मुकेश अंबानी को सुरक्षा मुहैया कराएगी। वर्तमान में इन्हें सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान कर रही है।
इसके साथ ही इनके हाथ जम्मू-कश्मीर के राजनेताओं जैसे मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और सीपीआई-एम के विधायक यूसुफ तारिगामी के साथ-साथ कुछ न्यायाधीशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी होगी। न्यायाधीशों की सुरक्षा का जिम्मा अभी आाईटीबीपी के हाथों में है।
एसएसजी विंग के माध्यम से वीआईपी सुरक्षा प्रदान करने वाली सीआईएसएफ 1969 में अस्तित्व में आई थी। सीआईएसएफ नाभिकीय प्रतिष्ठानों, अंतरिक्ष प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, बिजली संयंत्रों, संवेदनशील सरकारी भवनों, विरासत स्मारकों, दिल्ली मेट्रो रेल निगम और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सुरक्षा मुहैया कराती है।
वहीं यदि सिर्फ यूपी की बात करें, तो आकड़ों के लिहाज से इस सूबे में 1192 लोगों पर महज एक वर्दीवाला है। यूपी पुलिस में 50 प्रतिशत खाली हैं। यदि देश के हर एक राज्य में इस तरह के आकड़ें खंगाले जाए तो स्थति और भयावाह नजर आएगी। ऐसे में कुछ कथित माननीय के लिए कमांडों जैसी व्यवस्था समझ के परे है। बाकी सरकार तो कुछ भी कर सकती है। उसके लिए सब सही होता है, जो वो करे बाकी का सब कुछ गलत।