NSG सदस्यता पर रूस का चीन-PAK को खरी-खरी, कहा- भारत की बात अलग

Update: 2017-12-07 07:41 GMT
NSG सदस्यता पर रूस का चीन-PAK को खरी-खरी, कहा- भारत की बात अलग

नई दिल्ली: रूस ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत के शामिल करने के मामले में चीन और पाकिस्तान को जोर का झटका देते हुए कहा, कि इसकी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को पाकिस्तान के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। रूस ने एक बार फिर साबित किया कि वो भारत का पुराना और सच्चा दोस्त है।

रूस इस मामले में विभिन्न स्तर पर चीन के साथ चर्चा कर रहा है। चीन लगातार न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता का विरोध करता आ रहा है। भारत को सदस्यता देने के मामले में चीन ने हर बार वीटो का इस्तेमाल किया, जिससे भारत इसका सदस्य होने से अब तक वंचित है।

चीन इसे पाक के विरोध में मानता है

चीन इस पक्ष में है कि 48 सदस्यों वाले एनएसजी ग्रुप के विस्तार के लिए एक कसौटी तय की जाए, बजाय इसके कि मेरिट के आधार पर किसी देश को सदस्यता मिले। एनएसजी ग्रुप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु व्यापार को नियंत्रित करता है। भारत अपनी दावेदारी के मुकाबले चीन के इस विरोध को पाकिस्तान के पक्ष में मानता है।

रूस की खरी-खरी

बुधवार (6 दिसम्बर) को यह मामला एक बार फिर चर्चा में आया, जब रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने विदेश सचिव एस. जयशंकर से मुलाकात की। विदेश सचिव एस. जयशंकर से मुलाकात के बाद रयाबकोव ने कहा, 'एनएसजी सदस्यता की दावेदारी के लिए पाकिस्तान के आवेदन पर कोई सर्वसम्मति नहीं है और इसे भारत की दावेदारी के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।'

हम उनमें नहीं जो केवल बात करते हैं

बता दें, कि यह पहली बार है जब रूस के किसी सीनियर डिप्लोमेट ने सार्वजनिक रूप से दो मामलों को एक साथ जोड़ने पर प्रतिक्रिया दी हो। उन्होंने कहा, 'हम इस मसले की जटिलताओं से परिचित हैं, लेकिन हम उन देशों की तरह नहीं जो केवल बात करते हैं। हम वास्तविक रूप से कोशिश कर रहे हैं और चीन के साथ विभिन्न स्तर पर बात हो रही है।'

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भारत की हो सकारात्मक मदद

गौरतलब है, कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि भारत ने चीन को समझाने के लिए रूस से संपर्क किया गया है। चीन भारत को मेरिट के आधार पर एनएसजी की सदस्यता देने का विरोध करता है। हालांकि, मास्को का मानना है कि जब तक सभी देश इस बारे में प्रयास नहीं करते हैं, तब तक चीन मानने को तैयार नहीं होगा। रयाबकोव ने अपने बयान में मुद्दे के राजनीतिकरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, कि 'दूसरे देशों को भारत की सदस्यता के लिए और ज्यादा सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत है।' हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया।

पाक संबंधों में रूस का कोई छिपा एजेंडा नहीं

रूसी उप विदेशी मंत्री ने कहा, कि उनका देश पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में लगा है लेकिन इस्लामाबाद के साथ संबंधों में रूस का कोई छिपा एजेंडा नहीं है। दुनिया में किसी भी देश के साथ रूस के संबंध भारत के साथ रिश्तों की कीमत पर नहीं बनेंगे।

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