संसद सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से शुरू होगा, जो 13 दिसंबर तक चलेगा। शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के उद्देश्य से नागरिकता (संशोधन) विधेयक समेत कई अहम बिल पेश करेगी।

Update: 2019-11-16 15:17 GMT

नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संसद के शीतकालीन सत्र के संदर्भ में कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं की सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि इसमें इस सत्र में उठने वाले अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।

बड़ी खबर है कि सर्वदलीय बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी शामिल हुए।

इसके अलावा सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस की ओर से अधीर रंजन चौधरी, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, लोजपा से चिराग पासवान, पिनाकी मिश्रा, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत कई विपक्षी दलों के नेता पहुंचे।

बेरोजगारी, मंदी, कृषि संकट और प्रदूषण के मुद्दों पर हो चर्चा: विपक्ष

लोकसभा अध्यक्ष की सुचारू रूप से सदन चलाने की अपील के बाद विपक्षी दलों ने कहा कि इस सत्र में बेरोजगारी, मंदी, कृषि संकट और प्रदूषण के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक संसदीय पुस्तकालय भवन में हुई इस बैठक में विपक्ष के ज्यादातर दलों ने कहा कि सदस्यों को सदन में अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए।

बैठक के बाद बिरला ने कहा कि विभिन्न दलों के नेताओं ने जो मुद्दे उठाए हैं उन पर कार्य मंत्रणा समिति में चर्चा की जाएगी और जितना हो सकेगा उतने मुद्दों को हम सदन की कार्यवाही में जगह देने की कोशिश करेंगे।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा...

बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि ने कहा कि मैंने सभी नेताओं से कहा कि वे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें, सदन जनता के प्रति उत्तरदायी है, सदन में चर्चा होनी चाहिए।

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18 नवंबर से संसद सत्र...

अधिक जानकारी के लिए बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से शुरू होगा, जो 13 दिसंबर तक चलेगा। शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के उद्देश्य से नागरिकता (संशोधन) विधेयक समेत कई अहम बिल पेश करेगी।

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विपक्षी दलों ने कई बार किया विरोध...

इसके साथ ही आपको बता दें कि केन्द्र की मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में भी नागरिकता विधेयक को संसद में पेश किया था, लेकिन विपक्षी दलों ने इसका जोरदार विरोध किया था।

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बता दें कि विपक्षी दलों ने धार्मिक आधार पर भेदभाव के रूप में बिल की आलोचना की थी। यह बिल जनवरी में लोकसभा से पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा अटक गया।

बिल को लेकर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे।

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