सावधान पाकिस्तान-चीन: आ गया Suicide Drone, 100 किमी की रेंज में 6 किलो वॉरहेड के साथ करेगा दुश्मन के ठिकाने को तबाह
Suicide Drone Range: इस ड्रोन के टारगेट डिस्ट्रक्शन ट्रायल आने वाले छह महीने में किए जाने की संभावना जताई जा रही है। जिसके बाद ये ड्रोन पूरी तरह से प्रयोग में लाने के लिए तैयार होगा। इस ड्रोन की मारक क्षमता की बात करें तो इसमें छह किलोग्राम का विस्फोटक लगाया जा सकता है।
Suicide Drone Range: तकनीकी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार बुलंदियों के पायदान छूता हमारा देश अत्याधुनिक मशीनरी से लेकर रक्षा क्षेत्र में प्रक्षेपास्त्रों और हथियारों का निर्माण कर अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी बुद्धिमत्ता और कौशल का लोहा मनवा रहा है। इसी क्रम में IIT कानपुर ने एक जबरदस्त शक्तिशाली ड्रोन का निर्माण कर पूरे देश में ही नहीं वरन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को हैरत में डाल दिया है। असल में IIT कानपुर की एक पूरी रिसर्च टीम ने एक बेहद शक्तिशाली सुसाइड ड्रोन का निमार्ण किया है। यह सुसाइड ड्रोन 100 किलोमीटर की रेंज तक दुश्मन के अड्डे पर हमला कर सकता है। एयरोस्पेस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर सुब्रमण्यम सदराला के अनुसार सुसाइड ड्रोन में स्टॉल्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इसलिए इस ड्रोन को दुश्मन के रडार भी पकड़ने में पूरी तरह असक्षम साबित होंगे। यह एक कामीकेज ड्रोन है। जल, थल, नभ तीनों सेनाओं द्वारा इस्तेमाल में लाए जा सकने के हिसाब से इसका निर्माण किया गया है।
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इस ड्रोन के टारगेट डिस्ट्रक्शन ट्रायल आने वाले छह महीने में किए जाने की संभावना जताई जा रही है। जिसके बाद ये ड्रोन पूरी तरह से प्रयोग में लाने के लिए तैयार होगा। इस ड्रोन की मारक क्षमता की बात करें तो इसमें छह किलोग्राम का विस्फोटक लगाया जा सकता है।असिस्टेंट प्रोफेसर सदराला के अनुसार इस ड्रोन को डीआरडीओ के डीवाईएसएल प्रोजेक्ट के तहत पिछले एक साल से तैयार किया जा रहा है। जब भारतीय सैन्य शक्ति को और अधिक मजबूत करने के लिए अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की बात चल रही है ऐसे समय में आईआईटी कानपुर द्वारा घातक स्यूसाइडल ड्रोन का अविष्कार निश्चित ही देश की सैन्यशक्ति को सुदृढ़ करने साथ देश की आर्थिक शक्ति में भी मदद करने में सक्षम होगा। आइए जानते हैं स्यूसाइडल ड्रोन से जुड़े और अधिक डिटेल्स के बारे में
दिन के साथ रात में भी कर सकेगा पूरी मुस्तैदी से दुश्मन के ठिकानों पर हमला
प्रोफ़ेसर सादरला ने बताया कि देसी ड्रोन कम से कम 100 मीटर और अधिकतम 4.5 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भरने के साथ ही दिन के साथ रात में भी उतनी ही मुस्तैदी के साथ अपने दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकता है। प्रोफेसर सादरला के अनुसार इस आत्मघाती ड्रोन को बनाने में डिफेंस कॉरिडोर के जरिए मिली फंडिंग का ही परिणाम है कि ये ड्रोन आज बनकर तैयार हो पाया है। आपको बताते हैं कि वीयू डायनमिक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में आईआईटी कानपुर भी स्टेकहोल्डर है। इस ड्रोन की खूबियों की बात करें तो ये हाइब्रिड वार के दौर में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ड्रोन है। यह स्यूसाइडल ड्रोन ऑटोनॉमस तकनीक से काम करेगा । यानी हवा के संपर्क में आने के बाद अल्गोरिदम के हिसाब ये खुद अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकेगा। इसी के साथ इस ड्रोन को बेस स्टेशन से रिमोट से नियंत्रित किया जा सकेगा। यह आत्मघाती ड्रोन पहले से सेट किए गए लक्ष्य से अधिकतम 2 मीटर तक ही ज्यादा जा सकता है। इसमें लगे कैमरे से बेस स्टेशन को दुश्मन के इलाके की तस्वीरें भी प्राप्त होती रहेंगी। किसी भी मौसम और कहीं भी काम करने में सक्षम ड्रोन स्टेल्द तकनीक से युक्त होगा।
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से करेगा दुश्मनों पर वार
इस ड्रोन की सबसे खास बात यह है कि ये ड्रोन दुश्मन के इलाके में जीपीएस ब्लॉक होने के बावजूद आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से टारगेट को ध्वस्त कर देगा। बैटरी से चलने वाला आत्मघाती ड्रोन लॉन्च करने के 40 मिनट में 100 किमी की रेंज में जाकर घातक हमले कर सकता है। प्रफेसर सादरला के अनुसार, डीआरडीओ के डीवाईएसएल प्रॉजेक्ट के अंतर्गत स्वदेशी तकनीक से निर्मित किए जाने वाले इस शक्तिशाली ड्रोन को देश की तीनों सेनाओं की सैन्यशक्ति को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए बनाया गया है। करीब 2 मीटर लंबे फोल्डेबल फिक्स्ड विंग ड्रोन में कई बेहतरीन खूबियों को शामिल किया गया है। इसमें सेंसिटिव कैमरे और इन्फ्रारेड सेंसर जैसी कई खूबियों के साथ ये ड्रोन कैटपल्ट या कैनिस्टर लॉन्चर से लॉन्च करने में सक्षम होगा।