BIG NEWS: राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कृषि बिल पास

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी।डेरेक ओ ब्रायन और तृणमूल कांग्रेस के बाकी सांसदों ने आसन के पास जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की और उसको फाड़ा।

Update:2020-09-20 10:34 IST
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद वेल में पहुंच गए। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा राज्यसभा का समय ना बढ़ाएं।

नई दिल्ली: संसद के मॉनूसन सत्र का आज सातवां दिन है। राज्यसभा में आज सरकार ने कृषि संबंधित विधेयकों को पेश किया। कृषि से जुड़े दो बिल लोकसभा से पहले ही पास हो चुके हैं। हालाँकि कृषि विधयकों पर खुद सरकार की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल उनके खिलाफ हो गयी। विपक्ष भी बिल के विरोध में है। आज सदन में काफी जोरदार हंगामा हुआ। जिसके बाद रा: ज्यसभा की कार्यवाही थोड़ी देर के स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कृषि बिल पास हो गया है।

हंगामे के बीच कृषि बिल पास

 

संसद भवन की फोटो(सोशल मीडिया)

मॉनसून सत्र की पल-पल की अपडेट्स

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद वेल में पहुंच गए। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा राज्यसभा का समय ना बढ़ाएं।

मंत्री का जवाब कल हो, क्योंकि अधिकतर लोग यही चाहते हैं। राज्यसभा का समय 1:00 बजे तक है लेकिन सरकार चाहती है कि इस बिल को आज ही पास किया जाए। इस बीच, सदन में हंगामा कर रहें सांसदो ने आसन के सामने लगे माइक को तोड़ दिया ।

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी। डेरेक ओ ब्रायन और तृणमूल कांग्रेस के बाकी सांसदों ने आसन के पास जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की और उसको फाड़ा।

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आम आदमी पार्टी ने बताया काला कानून

आम आदमी पार्टी के सांसद ने कहा कि इस बिल के जरिए किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का काम किया जा रहा है। यह एक काला कानून है जिसका मैं आम आदमी पार्टी की तरफ से विरोध करता हूं।

उन्होंने कहा कि आपने FDI का जमकर विरोध किया था लेकिन आज आप किसानों को पूंजीपतियों के हाथ में गिरवी रखने जा रहे हैं, देश के किसानों की आत्मा को बेचने जा रहे हैं।

कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा का विरोध

कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कृषि संबंधी विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बिल का विरोध करती है।

पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना ​​है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है। किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं।

राज्यसभा की फोटो(सोशल मीडिया)

संजय राउत का पीएम मोदी से सवाल- क्या अफवाह पर ही मंत्री ने इस्तीफा दे दिया

शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि देश में 70 फीसदी लोग खेती से जुड़े हैं। पूरे लॉकडाउन में किसान ही काम रहे थे। सरकार क्या भरोसा दे सकती है कि बिल के पास होने के बाद किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और आगे देश में कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा।

उन्होंने कहा कि अगर यह बिल किसान विरोधी है तो पूरे देश में विरोध क्यों नहीं हो रहा है? अगर पूरे देश में विरोध नहीं हो रहा है तो इसका मतलब है कि बिल को लेकर भ्रम, कुछ कन्फ्यूजन भी है.सरकार को इसे दूर करना चाहिए।

संजय राउत ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने बताया था कि बिल को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है, ऐसे में मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अफवाह पर ही एक मंत्री ने इस्तीफा दे दिया।

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नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में पेश किया कृषि विधेयक

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीनों कृषि संबंधी विधेयक 2020 राज्यसभा में पेश किया। उन्होने कहा- ये बिल किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। किसानों को अपनी फसल किसी भी स्थान से किसी भी स्थान पर मनचाही कीमत पर बेचने की स्वतंत्रता होगी। उन्होंने कहा कि बिलों के बारे में कई तरह की धारणाएं बनाई गई हैं। यह बिल एमएसपी से संबंधित नहीं है।

राज्यसभा की कार्यवाही शुरू

राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हो गई है। सरकार आज राज्यसभा में कृषि विधेयकों को पेश करेगी। सरकार ने लोकसभा में कृषि संबंधी बिल पास करा लिया है, लेकिन उच्च सदन में केंद्र के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में ये बिल पास करवाना मुश्किल है। हालाँकि बीजेपी ने अपने सांसदों को व्हिप भी जारी कर दिया है।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फोटो(सोशल मीडिया)

राजनाथ सिंह ने एनसीपी-शिवसेना से की बात

सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिवसेना और एनसीपी के नेताओं से फोन पर बात की और इन विधेयकों के पक्ष में आने की अपील की। संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है. ऐसे में महत्वपूर्ण विधेयक को पास कराने के लिए सरकार को विपक्ष पर आश्रित होना पड़ता है।

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