एलोपैथी पर टिप्पणी का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव से कहा, शिकायतकर्ताओं को बनाएं पक्षकार
Baba Ramdev News: अपनी याचिका में रामदेव ने केंद्र, बिहार, छत्तीसगढ़ और आईएमए को पक्षकार बनाया है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 9 अक्टूबर को उन्हें नोटिस जारी किया था।
Baba Ramdev News: बाबा रामदेव द्वारा अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने उनसे कहा है कि वह शिकायतकर्ताओं को अपनी याचिका में पक्ष बनाएं। कोरोना महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल पर रामदेव की कथित टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज। हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पटना और रायपुर चैप्टर ने 2021 में शिकायत दर्ज कराई थी कि रामदेव की टिप्पणियों से कोरोना नियंत्रण तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है और लोगों को उचित उपचार का लाभ उठाने से रोका जा सकता है।
सुप्रीमकोर्ट के न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करने वाली रामदेव की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि रामदेव को मामले में राहत हासिल करने के लिए शिकायतकर्ताओं को पक्षकार बनाने की जरूरत है। पीठ ने रामदेव को शिकायतकर्ताओं को पक्षकार बनाने की छूट दी और मामले को शीर्ष अदालत की ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बाद सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। कोर्ट में गर्मियों की छुट्टियां 20 मई से शुरू हो रही है।
अपनी याचिका में रामदेव ने केंद्र, बिहार, छत्तीसगढ़ और आईएमए को पक्षकार बनाया है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 9 अक्टूबर को उन्हें नोटिस जारी किया था।
कई मामले दर्ज
इसके पहले रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा था कि रामदेव ने 2021 में बयान दिया था कि वह एलोपैथिक दवाओं पर विश्वास नहीं करते हैं, जिस पर कुछ डॉक्टरों ने नाराजगी जताई और उनके खिलाफ कई मामले दर्ज कराए। अंतरिम राहत के तौर पर रामदेव ने आपराधिक शिकायतों पर जांच पर रोक लगाने की मांग की है।
महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ रामदेव की टिप्पणी पर आईएमए ने बिहार और छत्तीसगढ़ में शिकायत दर्ज कराई है। उन पर भारतीय दंड संहिता और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने एक पत्र लिख कर रामदेव की टिप्पणियों को "अनुचित" कहा था जिसके बाद रामदेव ने अपनी टिप्पणी वापस ले थी।
इस बीच, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने मामले में एक पक्ष बनने की अनुमति मांगी है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि रामदेव ने एलोपैथी का अपमान किया और लोगों को टीकों और उपचार प्रोटोकॉल की अवहेलना करने के लिए उकसाया।