पतंजलि पर बड़ा ऐलान: रामदेव की दवा पर आया ये फैसला, अब शुरू काम

पतंजलि की कोरोनिल दवा पर काफी दिनों से विवाद चल रहा था, लेकिन ताजा खबर मिली है कि अब पतंजलि की कोरोनिल दवा से प्रतिबंध हटा लिया गया है।

Update:2020-07-01 18:23 IST

नई दिल्ली। पतंजलि की कोरोनिल दवा पर काफी दिनों से विवाद चल रहा था, लेकिन ताजा खबर मिली है कि अब पतंजलि की कोरोनिल दवा से प्रतिबंध हटा लिया गया है। बाबा रामदेव ने बुधवार यानी आज पतंजलि में मीडिया से वार्ता करते हुए बताया कि कोरोनिल को बेचने पर अब आयुष मंत्रालय ने प्रतिबंध हटा दिया है। मंत्रालय की तरफ से साफ-साफ कहा गया है कि पतंजलि दवा बेच सकती है, लेकिन कोविड- 19 को ठीक करने के नाम से दवा नहीं बेची जा सकेगी।

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इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचने की इजाजत

इसी सिलसिले में उन्होंने कहा कि दवा को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचने की इजाजत मिली है। इसलिए देशभर में दवा आज से ही बेची जा सकेगी।

जानकारी के लिए बता दें कि पतंजलि ने कोरोना की पहली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल को एक किट के रूप में 23 जून को लॉन्च की थी।

पतंजलि ने इसे कोरोना के मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल के बाद लॉन्च करने का दावा किया गया था। लेकिन फिर बाद में इसे लेकर आयुष विभाग के आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी की तरफ से पतंजलि को नोटिस भेजा गया था। इस नोटिस में पतंजलि अपने दावे से पलट गई थी।

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कोरोना की कोई दवा नहीं

इस बारे में पतंजलि ने जवाब में कहा कि कोरोना की कोई दवा नहीं बनाई और न ही कभी कोरोना की बताकर प्रचार-प्रसार किया गया। मॉर्डन मेडिकल साइंस के तहत ये काम किया गया था।

बता दें, इनके अलग-अलग लाइसेंस हैं, इनका संयुक्त रूप से ट्रायल किया गया था। रजिस्ट्रेशन व रिसर्च के प्रोसेस अलग हैं।

हमने जो 3 औषधियां बनाई हैं, उनका लाइसेंस यूनानी और आयुर्वेद मंत्रालय से लिया गया है। ऐसे में बाबा रामदेव ने कहा कि अभी कोरोना के ऊपर क्लीनिकल ट्रायल हुआ है। इसके साथ ही दस से ज्यादा बीमारियों के तीन लेवल को हम पार कर चुके हैं।

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500 से ज्यादा वैज्ञानिक हमारी शोध टीम में

हृदय रोगियों, अस्थमा, हेपेटाइटिस, डेंगू, चिकनगुनिया के रोगियों पर भी शोध कर चुके हैं। वहीं 500 से ज्यादा वैज्ञानिक हमारी शोध टीम में हैं।

बाबा रामदेव ने कोरोनिल दवा विवाद को लेकर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा, ''लोग कह रहे हैं कि पतंजलि ने पलटी मारी, कोई अनुसंधान नहीं किया और कुछ लोगों ने तो मेरी जाति, धर्म, संन्यास को लेकर और अलग-अलग प्रकार से गंदा वातावरण बनाने की कोशिश की गई।

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आयुर्वेद का काम करना गुनाह

ऐसे लगता है कि हिंदुस्तान के अंदर आयुर्वेद का काम करना गुनाह हो। देशभर में एफआईआर दर्ज करा दी गईं, जैसे किसी देशद्रोही और आतंकवादी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होती हैं।''

बाबा रामदेव ने कहा कि यह एक साम्राज्यवादी सोच है कि कैसे एक भगवा धारण करने वाला रिसर्च कर सकता है। एक ट्रायल से ही मॉडर्न मेडिकल साइंस में तूफान आ गया है। इस सिलसिले में बाबा रामदेव ने कहा कि अभी हम इस अनुसंधान को और आगे ले जाएंगे।

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