10 लाख फर्जी राशन कार्ड और 2718 करोड़ का घोटाला, FIR हुई दर्ज

छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के दौरान हुए पीडीएस घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने तत्कालीन खाद्य अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है।

Update: 2020-03-18 12:26 GMT

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के दौरान हुए पीडीएस घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने तत्कालीन खाद्य अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है।

आर्थिक अपराध शाखा छत्तीसगढ़ में अप्रैल 2013 से दिसंबर 2018 के बीच 10 लाख फर्जी राशन कार्डों से तकरीबन 11 लाख टन चावल की हेराफेरी की जांच कर रही है। ईओडब्ल्यू ने पीडीएस में 2718 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा किया है। बता दें कि उस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री रमन सिंह थे।

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घोटाले में अधिकारी और व्यापारी शामिल

ईओडब्ल्यू ने बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले में केस दर्ज करने के बाद नए सिरे से जांच शुरू की। 'नान' के बाद पीडीएस में हुए घोटाले को छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है। ईओडब्ल्यू की जांच में यह खुलासा हुआ है कि राज्य में जिन अधिकारियों पर पीडीएस दुकानों में राशन पहुंचाने और उसके सत्यापन की जिम्मेदारी थी, उन्होंने ही 10 लाख फर्जी राशन कार्ड बनवाकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया।

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10 लाख फर्जी राशन कार्ड

ईडब्ल्यूओ ने जांच में करीब 10 लाख ऐसे राशन राशन कार्ड पाए हैं जिनपर नाम-पते फर्जी थे, लेकिन हर महीने इन कार्डों पर राशन दिया जाता रहा। इसमें चावल मुख्य था। ईडब्ल्यूओ के मुताबिक फर्जी कार्ड पर 1 और 2 रुपये किलो की दर से राशन लेकर व्यापरियों को बेचा जाता था। पीडीएस अधिकारियों ने व्यापारियों से मिलीभगत कर यह घोटाला किया है। खुले मार्केट में व्यापारी इस राशन को महंगे दामों पर बेचते थे। इस तरह अधिकारियों और व्यापारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया।

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3 साल तक खेल

ईओडब्ल्यू अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इस घोटाले में किन अधिकारियों की भूमिका थी। ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा सके। ईओडब्ल्यू का कहना है कि यह गोलमाल सितंबर 2013 से शुरू किया गया, तब खाद्य विभाग ने प्रदेश में नए सिरे से बीपीएल राशन कार्ड बनाने शुरू किए। उस वक्त प्रदेश में बीपीएल परिवारों की संख्या 56 लाख थी, लेकिन यह एकाएक बढ़ाकर 72 लाख हो गई, अर्थात 16 लाख अतिरिक्त परिवारों को पीडीएस के चावल का पात्र बना दिया गया और दिसंबर 2016 तक यह खेल चला।

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