मरीना बीच पर जयललिता के स्मारक निर्माण के खिलाफ याचिका खारिज

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के 23 जनवरी के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।

Update: 2019-04-22 13:55 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने चेन्नई में मरीना बीच पर तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता के स्मारक के निर्माण के खिलाफ दायर याचिका सोमवार को खारिज कर दी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के 23 जनवरी के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘व्यक्तिगत रूप से पेश याचिकाकर्ता को सुनने और संबंधित सामग्री के अवलोकन के बाद हम इसमें हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है। तद्नुसार विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। लंबित सारे अवेदन निस्तारित किये गये माने जायें।’’

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यह याचिका देसीय मक्कल शक्ती काची के अध्यक्ष एम एल रवि ने दायर की थी। उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुये जयललिता के स्मारक के निर्माण पर जनता का धन खर्च करने से तमिलनाडु सरकार को रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

याचिका की दलील थी कि यदि सरकार इस पर धन खर्च कर रही है तो उसे जयललिता की संपत्ति से वसूल किया जाना चाहिए क्योंकि उसे ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में दोषी ठहराया गया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के 2017 के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर उच्चतम न्यायालय में निर्णय होने से पहले ही जयललिता का निधन हो गया था और इसलिए उन्हें बरी करने के खिलाफ मामला समाप्त हो गया था।

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(भाषा)

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