EMI पर छूट देने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

कोरोना वायरस महामारी को लेकर देश में लागू लॉकडाउन के बीच बीते 27 मार्च को कर्ज के किस्त चुकाने के लिए तीन महीने की मोहलत देने को लेकर रिजर्व बैंक की ओर से जारी सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई है।

Update: 2020-04-12 08:20 GMT

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी को लेकर देश में लागू लॉकडाउन के बीच बीते 27 मार्च को कर्ज के किस्त चुकाने के लिए तीन महीने की मोहलत देने को लेकर रिजर्व बैंक की ओर से जारी सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई है।

दरअसल, लॉकडाउन के कारण रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को EMI पर तीने महीने के लिए मोराटोरियम पीरियड की घोषणा की थी। मोराटोरियम पीरियड में ग्राहक 3 महीनों (मार्च-अप्रैल-मई) के लिए अपने लोन की EMI टाल सकते हैं। हालांकि मोराटोरियम सुविधा का लाभ लेने पर उन्हें लोन अतिरिक्तल इंट्रेस्ट का भुगतान करना होगा।

अमित साहनी ने पीआईएल में कहा है कि मोराटोरियम कानूनी रूप से देनदार को भुगतान स्थगित करने की अनुमति देता है। लिहाजा उनकी तरफ से कहा गया है कि लॉकडाउन के चलते लोग बेहद कठिनाई का सामना कर रहे हैं।

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पीआईएल में कही गई हैं ये बातें

व्यापार और कामकाज रूक गया है और पूरा बाजार धराशाही हो गया है। जब पूरा देश स्वास्थ्य आपातकाल से प्रभावित है, वित्तीय संस्थानों को लाभ अर्जित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

पीआईएल में कहा गया है प्रत्येक व्यक्ति, जिसने ऋण लिया है, आर्थिक रूप से स्थिर नहीं है और स्वास्थ्य आपातकाल के कारण बाजार की हालत सुधरने में भी पर्याप्त समय लग सकता है।

अर्जी में जोर देकर कहा गया है कि वह यह मांग नहीं कर रहे कि लोन की ईएमआई ही न ली जाए, बल्कि मांग यह है कि मोराटोरियम अवधि के दौरान ईएमआई पर कोई ब्याज नहीं होना चाहिए।

अर्जी में यह भी सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि अगर भविष्य में महामारी की स्थिति और प्रभाव को देखते हुए सरकार द्वारा लॉकडान को और आगे बढ़ाया जाता है, तो आगे की अवधि के लिए भी लोन देनदारों से ब्यारज न वसूला जाए।

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