Pharmaceutical Industry News: केंद्र सरकार के फैसले से मिलेगी नकली दवाओं से मुक्ति

Pharmaceutical Industry News: केंद्र जल्द ही दवा निर्माताओं को दवाओं के पैकेट पर बार कोड या क्यूआर कोड प्रिंट या चिपकाने के लिए कह सकती है।

Report :  Network
Update: 2022-09-30 12:16 GMT

नकली दवाओं के रैकेट से मिलेगी मुक्ति (Pic: Social Media)

Pharmaceutical Industry News: केंद्र जल्द ही दवा निर्माताओं को दवाओं के पैकेट पर बार कोड या क्यूआर कोड प्रिंट या चिपकाने के लिए कह सकती है। यदि सरकार ने ऐसा किया तो इससे भारत में बेची जा रही नकली दवाओं की चुनौती खत्म हो जाएगी और आम आदमी को नकली दवाओं के जहर से मुक्ति मिल जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पूर्व के एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में बिकने वाली करीब 35 फीसदी नकली दवाएं भारत से ही आती हैं।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस संबंध में सभी तैयारियां कर ली गई हैं और अगले कुछ हफ्तों में इसे लागू कर दिया जाएगा। अगर सरकार ने यह कदम अनिवार्य रूप से लागू किया तो प्रमुख दवाएं बार कोडिंग की परिधि में आ जाएंगी। इसमें ऐसा किया जा सकता है कि जो दवाओं के ब्रांड ज्यादा बिकते हैं पहले उन पर ये नियम लागू हो। क्योंकि उनकी डुप्लीकेसी का खतरा ज्यादा है। पहले दौर में इन्हीं कंपनियों को क्यूआर या बारकोड को अपनाने को कहा जा सकता है।

इन ब्रांडों में भारतीय फार्मा बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली लोकप्रिय दवाएं जैसे एलेग्रा, डोलो, ऑगमेंटिन, सेरिडोन, कैलपोल और थायरोनॉर्म आदि शामिल की जा सकती हैं। एक बार जब पहला चरण सुचारू रूप से अमल में ले आया जाएगा उसके बाद बाकी पर इसे लागू किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार एक केंद्रीय डेटाबेस एजेंसी की स्थापना की जगह की तलाश कर रही है, जहां से भारत में पूरे दवा उद्योग के लिए एक बार कोड प्रदान किया जा सके।

जून में इस संबंध में जारी की गई मसौदा अधिसूचना में, सरकार ने कहा था कि फॉर्मूलेशन उत्पादों के निर्माता अपने प्राथमिक पैकेजिंग लेबल और द्वितीयक पैकेज लेबल पर बार कोड या त्वरित प्रतिक्रिया कोड प्रिंट या चिपकाएंगे जो प्रमाणीकरण की सुविधा के लिए सॉफ़्टवेयर अनुप्रयोगों के साथ डेटा या जानकारी को सुपाठ्य करेगा। संग्रहीत डेटा या जानकारी में एक विशिष्ट उत्पाद पहचान कोड, दवा का उचित और सामान्य नाम, ब्रांड नाम, निर्माता का नाम और पता, बैच नंबर, निर्माण की तारीख, समाप्ति की तारीख और विनिर्माण लाइसेंस संख्या शामिल होगी।

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