'मैं वैसा ही रहूंगा जैसा लोगों ने मुझे बनाया है, मैं कुर्सी का गुलाम नहीं बनूंगा', SWAGAT को संबोधित करते बोले PM मोदी
PM Modi addresses SWAGAT: पीएम मोदी ने 'स्वागत' के 20 साल पूरे होने पर कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा, मुझे अभी पुराने अनुभवों को सुनने का, पुरानी यादें ताजा करने का मौका मिला।
PM Modi addresses SWAGAT: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (27 अप्रैल) को गुजरात में 'SWAGAT' पहल के 20 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे इस बात का संतोष है कि हमने जिस उद्देश्य से 'स्वागत' को शुरू किया था वो पूरी तरह सफल रहा। इसके जरिए लोग ना सिर्फ अपनी समस्या का हल कर पा रहे हैं बल्कि अपने साथ-साथ सैकड़ों परिवारों की बात भी उठा रहे हैं।' गौरतलब है कि, गुजरात में 2003 में वहां के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी ने 'SWAGAT' की शुरुआत की थी।
नरेंद्र मोदी के गुजरात मुख्यमंत्री बने महज दो साल ही हुए थे। इतने काम समय में उन्हें समझ आ गया था कि, आम जनता को सरकार के साथ अपनी मुश्किलें साझा करने तथा उसे सुलझाने के लिए किसी तंत्र को विकसित किया जाना आवश्यक है। उन दिनों समाज के गरीब, अशिक्षित और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के साथ कई मुश्किलें थीं। बची-खुची कसर सरकार की ओर से पूरी हो जाती थी। क्योंकि, सरकार के स्तर पर पारदर्शिता का न तो कोई माध्यम था और न ही जवाबदेही। ऐसे में तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने 'SWAGAT' की शुरुआत की।
'स्वागत' की सफलता में कई लोगों का अनवरत श्रम लगा'
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'गुजरात के करोड़ों नागरिकों की सेवा में समर्पित 'स्वागत' 20 वर्ष पूरे कर रहा है। मुझे अभी-अभी पुराने अनुभवों को सुनने का, पुरानी यादें ताजा करने का मौका मिला। उन्होंने कहा, 'स्वागत' की सफलता में कितने ही लोगों का अनवरत श्रम लगा है, कितने ही लोगों की निष्ठा लगी है। मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं।'
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मैं कुर्सी का गुलाम नहीं बनूंगा
पीएम मोदी ने आगे कहा, 'वर्ष 2003 में मैंने जब 'स्वागत' की शुरुआत की थी तब मुझे गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में ज्यादा समय नहीं हुआ था। उससे पहले मेरा ज्यादातर जीवन कार्यकर्ता के रूप में बीता था। तब कुर्सी मिलने के बाद मैंने मन में ही सोचा था कि मैं वैसा ही रहूंगा जैसा लोगों ने मुझे बनाया है। मैं कुर्सी का गुलाम नहीं बनूंगा। मैं जनता-जनार्दन के बीच रहूंगा। जनता के लिए रहूंगा। इसी उद्देश्य से स्वागत का जन्म हुआ।'
गुजरात की सेवा, सबसे बड़ा अवार्ड
उन्होंने कहा, गवर्नेंस लोगों की जिंदगियों से, सपनों से और संकल्पों से जुड़ी हुई एक प्रगतिशील व्यवस्था होती है। मेरे लिए SWAGAT की सफलता का सबसे बड़ा अवार्ड ये है कि इसके जरिए हम गुजरात के लोगों की सेवा कर पाये।'