शिक्षित आतंकवाद: पीएम मोदी ने किया अलर्ट, देश में बढ़ते खतरे की ओर इशारा

प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि यह सोचना गलत है कि आतंकवाद में केवल कम पढ़े लिखे लोग ही शामिल हैं जबकि हकीकत यह है कि आतंकियों में शिक्षित लोगों की बड़ी तादाद शामिल है।

Update:2021-02-19 22:16 IST

रामकृष्ण वाजपेयी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की ऐतिहासिक विश्व भारती यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में हमें गंभीरता पूर्वक ना केवल सोचना होगा बल्कि इसके खात्मे के लिए बुनियादी स्तर पर काम करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सोचना गलत है कि आतंकवाद में केवल कम पढ़े लिखे लोग ही शामिल हैं जबकि हकीकत यह है कि आतंकियों में शिक्षित लोगों की बड़ी तादाद शामिल है।

विश्व भारती यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोले पीएम मोदी

पीएम मोदी ने यह बहुत बड़ी बात कही है वह देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में यह कहना कि आतंकवाद फैलाने में शिक्षित भी शामिल हैं यह सोचने पर विवश करता है कि प्रधानमंत्री का इशारा किसकी ओर है, आतंक का क्या वाकई है शिक्षा से कोई रिश्ता।

ये भी पढ़ें- लद्दाख पर कब्जा: भारतीय सैनिकों का वीडियो जारी, चीनी क्षेत्र पर अतिक्रमण का आरोप

दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु पर आतंकवाद फैलाने का आरोप

पिछले दिनों दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु के नाम सामने आए हैं। जिन पर आरोप है कि इन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में टूलकिट बनाया था जिसका मकसद था भारत की छवि खराब करना। इससे पहले किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा और पंजाबी एक्टर दीप को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सिख फॉर जस्टिस से संबंधित एक मामले में पूछताछ के लिए समन किया था। एनआईए ने न्यायिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत सिख फॉर जस्टिस से संबंधित मामले में गवाह के रूप में पूछताछ के लिए लगभग 40 लोगों को समन किया था।

Full View

शिक्षित आतंकवाद पर पीएम मोदी का अलर्ट

जानकारी के अनुसार एनआईए ने पिछले साल 15 दिसंबर को आईपीसी की कई धाराओं सहित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामला दर्ज किया था।

ये भी पढ़ें- बंगाल: पीएम मोदी आज विश्वभारती विश्वविद्यालय के वर्चुअल दीक्षा समारोह में होंगे शामिल

जिसकी एफआईआर में एनआईए ने आरोप लगाया कि एक गैर-कानूनी संगठन एसएफजे और अन्य खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने भय और अराजकता का माहौल बनाने के लिए एक साजिश रची है।

अलगाववादी संगठनों का सरकार के खिलाफ विद्रोह

एजेंसी ने आरोप लगाया गया है कि ऐसे अलगाववादी संगठनों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाने का काम किया है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अन्य देशों में जमीनी स्तर पर अभियान तेज करने और प्रचार के लिए भारी मात्रा में धन भी एकत्र किया जा रहा है।

इन अभियानों को नामित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू, परमजीत सिंह पम्मा, हरदीप सिंह निज्जर और अन्य द्वारा चलाया जा रहा है। इस साजिश में शामिल एसएफजे और अन्य खालिस्तानी समर्थक तत्व लगातार सोशल मीडिया अभियान और अन्य माध्यमों से भारत में अलगाववाद के बीज बोना चाहते हैं।

ये भी पढ़ें- अर्जुन तेंदुलकर की आलोचना पर भड़कीं बहन सारा, ट्रोलर्स को दिया करारा जवाब

यह नेता भारत के टुकड़े करना चाहते हैं और खालिस्तान के नाम से अलग राष्ट्र के निर्माण का मंसूबा रखे हुए हैं। यही नहीं, ये समूह आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए युवाओं को उग्र और कट्टरपंथी बना रहे हैं और उनकी भर्ती भी कर रहे हैं।

शाहीन बाग प्रदर्शन में विदेश समर्थित आतंकवादी चेहरे बेनकाब हुए

इससे पहले शाहीन बाग प्रदर्शन के समय भी विदेशों से समर्थित आतंकवादी चेहरे बेनकाब हुए थे जिसमें एक दंपति भी पकड़ा गया था। ये आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल से प्रभावित थे। दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को ओखला के जामिया नगर से पकड़ा है। पकड़े गए दोनों आतंकियों की पहचान जहांजेब सामी और उसकी पत्नी हीना बशीर के रूप में हुई थी।

ये भी पढ़ें- Newstrack: आज की बड़ी खबरें, शाह के बंगाल दौरे से 67 आतंकियों की मौत तक

पुलिस ने इनके पास से संदिग्ध लिटलेचर, बुक और वीडियो बरामद किया था। दोनों शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को भी भड़काने का काम कर रहे थे। दोनों पति-पत्नी इंडियन मुस्लिम यूनाइट नाम से एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी चला रहे थे। जिसका मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन से जोड़ना था।

पड़ोसी देश के आतंकवादी संगठनों का कश्मीर को समर्थन

कश्मीर में प्रदर्शनकारियों को पड़ोसी देश के आतंकवादी संगठनों का समर्थन जग जाहिर है। गौरतलब बात यह है कि पिछले कुछ समय में जितने आतंकवादी पकड़े या मारे गए हैं इनमें से अधिकांश उच्चशिक्षित रहे हैं। जिनकी सोशल मीडिया पर अच्छी पकड़ रही है। शहरी नक्सलवाद के भी तमाम मामले पकड़े गए हैं जिसमें विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तक के नाम आए हैं।

पिछले कुछ समय में आतंकवादियों की रणनीति भी बदली है। वह विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले मेधावी छात्रों को प्रलोभन देकर या धार्मिक कट्टरता का पाठ पढ़ाकर अपनी ओर खींच लेते हैं। इसलिए ऐसे में प्रधानमंत्री की चिंता जायज है। देश हित सर्वोपरि है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News