वह सच में भारतीय राजनीति के सबसे मासूम व्यक्तित्व लिए है। यकीनन बहुत भोले भी हैं। दिल के भी बहुत साफ़। इसलिए वह जब भी बोलते हैं , बड़ी खबर बन जाते हैं और उनकी पार्टी रह जाती है स्तब्ध। इस बार फिर बोल गए , लेकिन भारत में नहीं, अमेरिका में। भारत के बारे में उन्हने वंशवाद को बड़े प्रभावी अंदाज में प्रस्तुत किया। राहुल के मुताबिक़ भारत में ऐसे ही चलता है।
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भारत की राजनीति में प्रतिपक्ष के वर्तमान उम्मीद और कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में बर्कले यूनिवर्सिटी के एक प्रोग्राम में कहा कि भारत में वंशवाद की राजनीति ही सभी पार्टियों की समस्या है। देश में ज्यादातर ऐसा ही चल रहा है।
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चाहे आप अखिलेश यादव (मुलायम के बेटे) को देखें या फिर अभिषेक बच्चन या फिर एमके स्टालिन (करुणानिधि के बेटे), अनुराग ठाकुर (हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के बेटे) या मुकेश-अनिल अंबानी (धीरूभाई के बेटे)। ये सभी अपने पिता की विरासत ही आगे बढ़ाते दिखते हैं।
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ये सब बताता है कि देश कैसे चल रहा है। लेकिन इतना बताते हुए राहुल यह भूल गए कि इस वंशवाद के चलते ही उनकी पार्टी को भारत की जनता ने इतनी बुरी तरह से नकार दिया है कि वह संकट से जूझ रही है और कांग्रेस की वंशवादी परंपरा के एक मात्र बची हुई उम्मीद की किरण के रूप में खुद उनको अब भारत से विदेश में वंशवाद पर बोलना पड़ रहा है।
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दरअसल राहुल जी यह भी भूल गए कि इसी वंशवाद के खिलाफ बिगुल फूक कर नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था और खूब सफल भी हुए। आज भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तीनों गांव से आते हैं। इन की कोई पूर्व राजनीतिक विरासत नहीं है। इन के परिवार का कोई सदस्य भी राजनीति में नहीं दिखता।
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नरेंद्र मोदी अपने चुनाव अभियान में राहुल को कांग्रेस के युवराज कह कर बात करते थे और भारत की जनता खूब हंसा करती थी। युवराज वास्तव में राजा के अगले कहा जाता है, यह सब जानते हैं। लेकिन भोले और मासूम राहुल को शायद अब भी नहीं समझ आ रहा है। तभी तो वह राजनीतिक उत्तराधिकारियों के साथ ही व्यावसायिक उत्तराधिकारियों को भी जोड़ रहे हैं। वह कब समझ सकेंगे कि राजनीति में वंशवाद खराब माना जाता है।
लेकिन व्यवसाय में यदि वंश अपने पूर्वजो का व्यवसाय आगे ले जाता है तो वही सबसे लायक माना जाता है। राजनीतिक पार्टी कोई कंपनी या दूकान नहीं होती राहुल बाबा ?
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एजेंसियां बता रही हैं कि अमेरिका की बर्कले यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी ने भाषण दिया। भाषण के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक चीज के लिए जमकर तारीफ भी की। राहुल ने कहा मोदी के पास कुछ स्किल्स हैं। वह काफी अच्छे वक्ता हैं, मुझसे काफी अच्छे। वह जानते हैं कि भीड़ में जो तीन-चार तरह के अलग-अलग समूह हैं उन तक संदेश को कैसे पहुंचाया जाए। इस वजह से उनका संदेश ज्यादा लोगों तक पहुंच पाता है।
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इसके बाद राहुल ने मोदी पर चुटकी भी ली। राहुल ने कहा मुझे लगता है कि मोदी अपने साथ काम करने वालों से बातचीत नहीं करते, सांसद और भाजपा के लोगों ने मुझे यह बताया। राहुल गांधी ने कहा कि मैं विपक्ष का नेता हूं लेकिन मोदी मेरे भी प्रधानमंत्री हैं। पीएम मोदी मेरे से भी अच्छे वक्ता हैं वह लोगों को मैसेज देना जानते हैं।
लेकिन वो भाजपा के नेताओं की भी नहीं सुनते हैं। स्वच्छ भारत एक अच्छा आइडिया, मुझे भी पसंद है। आज रूस पाकिस्तान को हथियार बेच रहा है, जो पहले कभी नहीं हुआ ऐसा पहले नहीं होता था। नेपाल, बर्मा, श्रीलंका, मालदीव में चीन का दबदबा बढ़ रहा है, विदेश नीति में बैलेंस करना जरूरी है।
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अमेरिका के साथ दोस्ती करना जरूरी लेकिन दूसरे देशों से भी रिश्ते बनाना जरूरी है। इससे पहले राहुल से पूछा गया कि क्या वह नेता नहीं बनना चाहते थे? इसपर राहुल बोले बीजेपी का एक तंत्र है जिसमें 1000 लोग कंप्यूटर पर बैठे हुए हैं और वे ही आपको मेरे बारे में बताते रहते हैं, वह तंत्र काफी अच्छे से काम कर रहा है, वे पूरा दिन मेरे बारे में अभद्र चीजें फैलाते हैं, यह तंत्र वह शख्स चला रहा है जो कि हमारे देश को भी चला रहा है।
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राहुल जी ने और भी कई सवालो के बहुत भोले जवाब दिए। मसलन जब उनसे हिंसा पर पूछा गया तो कहा -
हिंसा को मैं नहीं तो कौन समझेगा? मैंने हिंसा के चलते अपने पिता को खोया, अपनी दादी को खोया। अगर ये सब मैं नहीं समझूंगा तो कौन समझेगा? उन्होंने यह भी बताया कि मोदी ने राइट टू इन्फॉर्मेशन (आरटीआई) को खत्म कर दिया है। हमने जब ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने की बात की तो हमें परेशानियों का सामना करना पड़ा।
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कांग्रेस अपनी पॉलिसीज और विजन को बातचीत से तय करती है, उसे वह थोपती नहीं है। उनकी दादी की ह्त्या के बाद 1984 के दंगापीड़ितों के मसले पर राहुल ने कहा, "मैं उनके साथ हूं। उनके हक के लिए लड़ता रहूंगा। किसी के भी खिलाफ हुई हिंसा की मैं कठोर निंदा करता हूं। क्या राहुल जी, उस दंगे के बाद आपके पिता जी की प्रचंड बहुमत की सरकार बनी थी। कुछ ही दिनों के बाद से लेकर मोदी से पहले तक आपकी माता जी के आशीर्वाद वाली सरकारें ही रही हैं। इन 33 वर्षो में आपकी तरफ से न्याय दिया गया ?
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