विरोध का गढ़ है 'कोकराझार': जहां पीएम मोदी की रैली आज

पीएम मोदी का असम दौरा दो वजहों से बेहद ख़ास है। पहला, कोकराझार, जहां से विरोध के सुर कई बार उठते रहे हैं और दूसरा बोडो समझौता।

Update:2020-02-07 13:38 IST

गोवाहाटी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को असम के कोकराझार दौरे पर हैं। पीएम नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद पहली बार पूर्वोत्तर के दौरे पर हैं। पीएम मोदी का ये दौरा दो वजहों से बेहद ख़ास है। पहला, कोकराझार, जहां समय समय पर विरोध के सुर उठते रहे हैं और दूसरा बोडो समझौता, जिसके लागू होने के बाद हजारों उग्रवादियों ने हथियार डाल दिए थे। इसी

बोडो समझौते का जश्न मनाने आ रहे पीएम मोदी:

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कोकराझार में 'बोडो समझौते' को लेकर आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आये हैं। पीएम मोदी ने खुद इस बारे में जानकारी देते हुए ट्वीट किया, ‘कल मैं असम में दौरे को लेकर उत्सुक हूं। मैं एक जनसभा को संबोधित करने के लिए कोकराझार में रहूंगा। हम बोडो समझौते पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किये जाने का जश्न मनाएंगे, जिससे दशकों की समस्या का अंत होगा। यह शांति और प्रगति के नये युग की शुरूआत का प्रतीक होगा।'

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बोडो समझौते के बाद 1615 उग्रवादी ने डाले हथियार:

गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में 27 जनवरी को बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। यह समझौता अलगाववादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफ़बी) के सभी चार गुटों, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (आब्सू) और केंद्र सरकार के बीच हुआ था। इस समझौते के दो दिन के अंदर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के अलग-अलग गुटों के करीब 1615 उग्रवादी अपने हथियार डाल कर मुख्यधारा में शामिल हो गये।

क्या है बोडो समझौता:

दरअसल, बोडो समझौते के तहत बोडोलैंड जिसे आधिकारिक तौर पर बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) कहा जाता था, का नाम बदल कर बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) हो गया।

नए समझौते की शर्तों के अनुसार बीटीआर को अधिक अधिकार दिए गये।

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इसके साथ ही बीटीसी की मौजूदा 40 सीटों को बढ़ाकर 60 किया जाना और इलाक़े में कई नए ज़िलों का गठन किया जाना तय हुआ।

वहीं गृह विभाग को छोड़कर विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार सारे बीटीआर के पास रहने का नियम बना।

समझौते के तहत क्षेत्र के विकास के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज रखा गया है।

विरोध का गढ़ है कोकराझार:

कोकराझार विरोध का गढ़ माना जाता है। कहा जाता है कि असम में सबसे पहले यहीं से विरोध के सुर उठते हैं। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर यहां जमकर विरोध हुआ था। उसी दौरान दिसंबर में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ पीएम मोदी गुवाहाटी में शिखर सम्मेलन करने वाले थे, लेकिन सीएए विरोधी आंदोलनों की वजह से पीएम का दौरा रद्द हो गया था।

वहीं पीएम मोदी गुवाहाटी में आयोजित हुए खेलो इंडिया- यूथ गेम्स के तीसरे संस्करण के उद्घाटन समारोह में भी नहीं आए थे। वैसे असम के कई इलाक़ों में अब भी नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण तरीक़े से विरोध हो रहा है।

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ध्यान देने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री असम के जिस इलाक़े में आज रैली करेंगे, वो संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आता है और यहां नागरिकता संशोधन क़ानून का कोई लेना-देना नही होगा।

लाखों लोग हो गये थे बेघर, सैकड़ों की गई थी जान:

इसके पहले साल 2012 में बोडो आदिवासियों और वहां बसे मुस्लिम लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गयी थी। हिंसा में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थीं। बाद में लगभग पांच लाख लोग अपने घरों को छोड़ कर चले गये थे। हिंसा के मद्देनजर कोकराझार में कर्फ्यू लगा दिया गया था।

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