PMLA Act: क्या है PMLA कानून, जिसके डर से बड़ों-बड़ों के छूट रहे हैं पसीने, कई हैं जेल में

PMLA Act: PMLA कानून में कुछ प्रावधान ऐसे सख्त हैं, जिसके लगने से ज्यादा विकल्प नहीं रह पाता। यही वजह है कि 242 लोगों की याचिका इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगी थी।

Update:2022-08-01 20:44 IST

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट: Photo- Social Media

Lucknow: आर्थिक अपराध (economic offense) की जांच करने वाली संस्था प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement) लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। कभी नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर तो कभी सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को लेकर, ईडी खबरों के हेडलाइन में बना रहता है। पार्थ चटर्जी पर कार्रवाई के बाद इस जांच एजेंसी के रडार पर अब दिग्गज शिवसेना नेता संजय राउत (Shiv Sena leader Sanjay Raut) हैं। पात्रा चॉल केस में पीएमएलए कोर्ट (PMLA Court) ने ईडी को राउत की 4 अगस्त तक के लिए दे दी है। पीएमएलए एक ऐसा कानून है, जो भारतीय राजनीति के कई सूरमाओं को अपना शिकार बना चुकी है।

इस कानून में कुछ प्रावधान ऐसे सख्त हैं, जिसके लगने से ज्यादा विकल्प नहीं रह पाता। यही वजह है कि 242 लोगों की याचिका इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लगी थी, जिसमें ईडी पर PMLA कानून का बेजां इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। लेकिन पिछले दिनों देश की सर्वोच्च अदालत में इस पर सुनवाई करते हुए फैसला ईडी के पक्ष में सुनाया था। तो आइए समझते हैं उस PMLA कानून के बारे में जिसने नेताओं और देश से भागने वाले कारोबारियों की नींद उड़ा रखी है।

क्या है PMLA कानून

PMLA यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (Prevention of Money Laundering Act) का मतलब है दो नंबर के पैसे को हेरफेर कर ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून। इस कानून को 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने बनाया था, जिसे 2005 में यूपीए सरकार (UPA Government) में वित्त मंत्री रहे पी.चिदंबरम ने लागू किया था। चिदंबरम ने ही इसमें पहली बार बदलाव करके इसके प्रावधानों को और सख्त कर दिया था। पीएमएलए के तहत ईडी के पास आरोपी को अरेस्ट करने, संपत्ति कुर्क करने, गिरफ्तारी के बाद जमानत की सख्त शर्तें और जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान को अदालत में सबूत के रूप में मान्य होने जैसे प्रवाधान उसे ताकतवर मानते हैं।

2012 में PMLA का दायरा बढ़ाया गया

साल 2012 में यूपीए सरकार के दौरान एक बार फिर PMLA कानून में संशोधन हुए। इस संसोधन में अपराधों की सूची का दायरा बढ़ाया गया। इसमें धन छुपाने, अधिग्रहण और धन के आपराधिक कार्यों में इस्तेमाल को शामिल किया गया। इस संशोधन की बदौलत ईडी को विशेषाधिकार मिले। पीएमएलए कानून ईडी को राजनीतिक घोटालों पर कार्रवाई का अधिकार देता है।

ईडी की कार्रवाई के कारण चार मंत्री पहुंचे जेल

प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद तीन राज्यों के चार दिग्गज मंत्रियों को जेल जाना पड़ा है। इनमें महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख, नवाब मलिक, सत्येंद्र जैन और पार्थ चटर्जी शामिल हैं।अनिल देशमुख को एंटीलिया केस में ईडी की कार्रवाई का शिकार होना पड़ा। वहीं शरद पवार के करीबी नवाब मलिक को दाऊद इब्राहिम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (Health Minister Satyendar Jain) को ईडी ने 30 मई को गिरफ्तार किया था। सबसे ताजा मामला टीएमसी के कद्दावर नेता और ममता सरकार में सीनियर मिनिस्टर रहे पार्थ चटर्जी का है, जिन्हें शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी ने अरेस्ट किया ।

ईडी के शिकार अन्य चर्चित नाम

सोनिया गांधी और राहुल गांधी – नेशनल हेराल्ड मामला

कार्ति और पी. चिदंबरम - आईएनएक्स मीडिया

भूपिंदर सिंह हुड्डा – पंचकुला लैंड केस

रॉबर्ट वाड्रा - जमीन खरीद घोटाला

डीके शिवकुमार – आय से अधिक संपत्ति

अहमद पटेल के बेटे फैसल पटेल - स्टर्लिंग बायोटेक

कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी – संपत्ति जुटाने का केस

सुरेश कलमाड़ी – कॉमनवेल्थ गेम्स

अशोक गहलोत के भाई अग्रेसन गहलोत – फर्टिलाइजर घोटाला

इसके अलावा झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा(Former Jharkhand CM Madhu Koda), एनसीपी नेता छग्गन भुजबल, आईसीआईसीआई बैंक घोटाले में गिरफ्तार दीपक कोचर और ठग सुकेश चंद्रशेखर जैसे लोग भी शामिल हैं। वहीं भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या और नीरव मोदी ने तो पीएमएलए कानून के डर से देश ही छोड़ दिया है।

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