100 करोड़ का श्रृंगार: दो सौ साल पुराने आभूषण, यहां राधा कृष्ण की शान निराली

ग्वालियर के गोपाल मंदिर को जन्माष्टमी के अवसर पर सजाया जाता है। यहां राधा कृष्ण को सिंधिया राजवंश के 200 साल पुराने आभूषणों से सजाया जाता है। इन आभूषणों की कीमत करीब 100 करोड़ रुपये है। कोरोना के चलते इस बार 

Update: 2020-08-12 15:58 GMT
100 करोड़ का श्रृंगार: दो सौ साल पुराने आभूषण,

ग्वालियर : ग्वालियर के गोपाल मंदिर को जन्माष्टमी के अवसर पर सजाया जाता है। यहां राधा कृष्ण को सिंधिया राजवंश के 200 साल पुराने आभूषणों से सजाया जाता है। इन आभूषणों की कीमत करीब 100 करोड़ रुपये है। कोरोना के चलते इस बार ऑनलाइन ही दर्शन होंगे। गोपाल मंदिर जो ग्वालियर के फूलबाग में स्थित है। इस मंदिर की ज्वैलरी को हर साल जिला कोषालय से कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर लाया जाता है।

200 से अधिक पुलिस जवान तैनात

सिंधिया राजवंश ने ये प्राचीन ज्वैलरी मध्य भारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए थे। इन बेशकीमती ज्वैलरी में हीरे और पन्ना जड़ित आभूषण हैं। मंदिर के इतिहास में पहली बार कोरोना संकट के चलते इस बार मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा। श्रृंगार के बाद भगवान के दर्शन फेसबुक लाइव के जरिए करिए।ज्वैलरी की लिस्टिंग के बाद उनका वजन किया जाता है। इसके बाद गंगाजल से धोने के बाद भगवान को ये पहनाए जाएंगे। सुरक्षा के लिए जन्माष्टमी के दिन यहां 200 से अधिक पुलिस जवान तैनात किए जाते हैं।

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बैंक के लॉकर में

निगमायुक्त संदीप माकिन ने बताया कि आज बैंक के लॉकर से भगवान के गहने निकालकर उनका श्रृंगार किया गया। गहनों की सुरक्षा के लिए पुलिस जवानों की तैनाती रहेगी साथ ही सीसीटीवी कैमरों के जरिए भी इनकी निगरानी की जाएगी कृष्ण जन्म के बाद रात 12 बजे ही इन जेवरातों को ट्रेजरी खुलवाकर उसमें रखवाया जाएगा और दूसरे दिन सुबह इन्हें दोबारा से बैंक के लॉकर में रखवा दिया जाएगा। सिंधिया रियासत द्वारा बनवाए गए इस मंदिर में राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं के लिए बहुमूल्य रत्नों से जड़ित सोने के जेवरात हैं।ट

सौ करोड़ से अधिक कीमत

एंटीक होने के कारण इनका बाजार मूल्य सौ करोड़ से अधिक आंका जाता है। भगवान राधा-कृष्ण के गहनों में कई तरह के बेशकीमती रत्न जड़े हुए है। भगवान के जेवरातों में राधाकृष्ण का सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार, सात लड़ी हार जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने लगे हैं। कृष्ण भगवान के सोने के तोड़े तथा सोने का मुकुट, राधाजी का ऐतिहासिक मुकुट जिसमें पुखराज और माणिक जड़ित होने के साथ बीच में पन्ना लगा है।

सिंधिया राजपरिवार रियासत

यह मुकुट लगभग तीन किलो वजन का है। राधा रानी के मुकुट में 16 ग्राम पन्ना रत्न लगे हुए हैं.।श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि हैं। भगवान के भोजन के लिए सोने, चांदी के प्राचीन बर्तन भी हैं। साथ ही भगवान की समई, इत्र दान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि भी हैं। गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन ज्वैलरी से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से है। उस समय सिंधिया राजपरिवार के लोग व रियासत के मंत्री, दरबारी व आम लोग जन्माष्टमी पर दर्शन को आते थे।

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साल 2007 में डॉ पवन शर्मा ने निगमायुक्त की कमान संभाली। उन्होंने निगम की संपत्तियों की पड़ताल कराई, उसमें इन ज्वैलरी की जानकारी मिली। गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को इन ज्वैलरी से श्रृंगार कराने की परंपरा शुरू कराई. उसके बाद से तत्कालीन आयुक्त इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। फूलबाग स्थित राधा-कृष्ण मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। हर साल यहां जन्माष्टमी पर करीब 2 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते थे लेकिन इस बार भगवान ऑनलाइन दर्शन देंगे।

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