भादों में दीपावलीः घर-घर जलेंगे दीप, होगा राम मंदिर भूमि पूजन यादगार
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन को यादगार बनाने की तैयारी है। विश्व हिंदू परिषद की ओर से इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है।
लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन को यादगार बनाने की तैयारी है। विश्व हिंदू परिषद की ओर से इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। इस दिन घर-घर दीप जलाकर भूमि पूजन के आयोजन को यादगार बनाने की योजना है। इस बीच मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी धन संग्रह अभियान चलाने का फैसला किया गया है। शुरुआत में माना जा रहा था कि मंदिर निर्माण पर 100 करोड़ रुपए की लागत आएगी मगर डिजाइन में बदलाव के बाद अब खर्च बढ़ जाने की संभावना है।
ये भी पढ़ें:छोटे पर्दे पर बदली दुनियाः अब कोरोना काल में ऐसे की जा रही शूटिंग, ये है सच
गांव-गांव उत्सव जैसा माहौल
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भूमि पूजन को यादगार बनाने का फैसला किया है। विहिप की योजना है कि इस दिन गांव-गांव उत्सव जैसा माहौल दिखना चाहिए। इसके लिए भूमि पूजन वाले दिन यानी 5 अगस्त को शाम के समय घरों पर दीप जलाने का कार्यक्रम तय किया गया है। इसके साथ ही देश के हिंदू जनमानस को अयोध्या के सरोकारों से जोड़ने के लिए अन्य कार्यक्रम भी तय किए गए हैं। भूमि पूजन के कुछ ही दिन बाद विहिप का स्थापना दिवस भी है। नौ से 16 अगस्त तक चलने वाले स्थापना दिवस कार्यक्रमों के सहारे भी देशव्यापी स्तर पर मंदिर निर्माण की खुशी जताने की रणनीति बनाई गई है।
नहीं पूरी हो पाई थी विहिप की योजना
जानकार सूत्रों का कहना है कि मंदिर निर्माण के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद भी विहिप की ओर से विजय उत्सव मनाने का कार्यक्रम तय किया गया था मगर संघ और पीएम मोदी की अपीलों के कारण बाद में इस पर अमल नहीं किया गया। अब विश्व हिंदू परिषद ने 5 अगस्त को यादगार बनाकर देश के हिंदू जनमानस को एक बार फिर राम मंदिर से जोड़ने का कार्यक्रम तय किया है।
नए डिजाइन में मंदिर परिसर का दायरा बढ़ा
जानकार सूत्रों का कहना है कि राम मंदिर को भव्य बनाने के लिए डिजाइन में बदलाव किया गया है। मंदिर की ऊंचाई 128 फीट से बढ़ाकर 161 फीट कर दी गई है। इसके साथ ही गुंबदों की संख्या भी तीन से बढ़ाकर पांच कर दी गई है। पहले के नक्शे के अनुसार नागर शैली के इस मंदिर परिसर क्षेत्र का दायरा करीब 67 एकड़ में रखा गया था जिसे नए डिजाइन चाहिए की जरूरतों के हिसाब से 100 से 120 एकड़ में विस्तारित किया जा सकता है।
100 करोड़ से अधिक की लागत
राम मंदिर समेत देश के कई प्रसिद्ध तीर्थों का नक्शा तैयार करने वाले प्रसिद्ध वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा का कहना है कि मौजूदा डिजाइन के हिसाब से मंदिर निर्माण पर करीब 100 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है। उनका कहना है कि अगर डिजाइन में बदलाव होता है तो खर्च और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि लागत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि मंदिर को किस समय सीमा में पूरा करना है। मंदिर निर्माण को समय सीमा में पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधनों और बजट की जरूरत होगी।
चंदा जुटाने के लिए चलेगा अभियान
दूसरी ओर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य स्वामी विश्वप्रसन्न तीर्थ का कहना है कि मंदिर निर्माण की अनुमानित लागत करीब 300 करोड़ रुपए है जबकि मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द की भूमि के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। उनका कहना है कि राम मंदिर का निर्माण करीब तीन से साढ़े तीन साल के भीतर पूरा होगा। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने 25 नवंबर से 25 दिसंबर तक बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय धन संग्रह अभियान चलाने का फैसला किया है। इस अभियान के तहत लोगों से मंदिर निर्माण के लिए दान देने की अपील की जाएगी।
स्वामी स्वरूपानंद ने खड़े किए ये सवाल
इस बीच श्री राम मंदिर के भूमि पूजन के मुहूर्त को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारिका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने 5 अगस्त के मुहूर्त पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि कोई भी कार्य उत्तम कालखंड में शुरू किया जाता है। 5 अगस्त को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह और मंदिर के निर्माण का आरंभ करना निषिद्ध है।
भाद्रपद में शुभारंभ विनाश का कारण
उन्होंने कहा कि विष्णु धर्मशास्त्र में भी कहा गया है कि भाद्रपद मास में किया गया शुभारंभ विनाश का कारण बनता है। दैवज्ञ बल्लभ ग्रंथ में भी कहा गया है कि भाद्रपद में गृह का निर्माण आरंभ करने से निर्धनता आती है। वास्तु प्रदीप में भी यही बात कही गई है। वास्तु राजबल्लभ के अनुसार भाद्रपद का आरंभ शून्य फल देता है।
शुभ मुहूर्त कहना इसलिए गलत
उन्होंने कहा कि अभिजीत मुहूर्त होने के कारण इसे शुभ मुहूर्त मानना भी गलत है। शंकराचार्य के मुताबिक मुहूर्त चिंतामणि के विवाह प्रकरण में बुधवार को अभिजीत निषिद्ध है। उन्होंने कहा कि कर्क के सूर्य में रहने तक सिर्फ श्रवण मास में शिलान्यास हो सकता है, भाद्रपद में नहीं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी कहा कि विद्वानों के अनुसार चातुर्मास में शुभ मुहूर्त का संयोग नहीं बन रहा है। सोशल मीडिया पर भी कई ज्योतिषाचार्यों ने विविध पंचांगों का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई है।
काशी विद्वत परिषद ने दावे को गलत बताया
दूसरी ओर काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी का कहना है कि हरिशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी के बीच विवाह आदि मंगल कार्यों को करने का निषेध है, लेकिन पूजन आदि धार्मिक कार्यों पर रोक नहीं है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में भगवान श्री राम के राज्याभिषेक के शुभ मुहूर्त के प्रकरण में महर्षि वशिष्ठ ने कहा है कि जब श्रीराम राज्याभिषेक करना चाहेंगे, वही समय और दिन शुभ और मंगल होगा। इस दृष्टि से श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन जब भी किया जाएगा, वही शुभ दिन और मंगल मुहूर्त बन जाएगा।
ये भी पढ़ें:क्वारनटीन महिलाएं गर्भवती: लोगों के उड़े होश, अब होगी मामले की जांच
अभिजीत मुहूर्त में पूजन परम कल्याणकारी
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय का कहना है कि 5 अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में भूमि पूजन परम कल्याणकारी होगा। यह 15 मुहूर्तों में आठवें स्थान पर आता है। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को भाद्रपद मास में सिंह राशि में सूर्य रहेंगे जिससे यह मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। घनिष्ठा नक्षत्र का संबंध भूमि से है और इसके स्वामी मंगल है और इसी नक्षत्र में भूमि पूजन आरंभ होगा। इसके साथ ही 5 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग भी प्राप्त हो रहा है।
देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।