राष्ट्रपति बोले: नए कृषि कानूनों से किसानों को नुकसान नहीं, विपक्ष ने बहिष्कार कर दिखाई एकजुटता
राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने पोस्टर लहराने के साथ नारेबाजी भी की। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को अविलंब रद्द किया जाना चाहिए। वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि हमें सेंट्रल हाल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई है। संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार की नीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने नए कृषि कानून पर किसानों में पैदा हुई गलतफहमी को दूर करने की कोशिश के साथ ही गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगे के अपमान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
उन्होंने साफ किया कि सरकार ने किसानों से कोई भी सुविधा नहीं छीनी है। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने कोरोना महामारी, गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों, देश की अर्थव्यवस्था, वंदे भारत मिशन, सरकार की विदेश नीति की उपलब्धियों और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का विशेष रूप से उल्लेख किया।
विपक्ष ने किया बहिष्कार
विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया। कांग्रेस सहित अन्य महत्वपूर्ण विपक्षी दलों ने पहले ही एलान कर रखा था कि कृषि कानूनों को लेकर सरकार के जोर-जबर्दस्ती के खिलाफ वे राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष के बहिष्कार का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
बेनीवाल ने लहराए पोस्टर
राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने पोस्टर लहराने के साथ नारेबाजी भी की। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को अविलंब रद्द किया जाना चाहिए। वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि हमें सेंट्रल हाल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि हमें किसानों को देशद्रोही कहना मंजूर नहीं है। इसीलिए हमने विरोध जताया।
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किसानों की सुविधाओं में कमी नहीं
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि तीनों नए कृषि कानून बनने से पहले पुरानी व्यवस्थाओं के तहत किसानों को जो अधिकार व सुविधाएं मिल रही थीं, उनमें किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है।
सच्चाई तो यह है कि नए कृषि कानूनों के तहत सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही नए अधिकारों से भी लैस किया है। उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने हैं कृषि कानूनों पर अमल स्थगित किया हुआ है और सरकार शीर्ष अदालत के निर्णय का पूरे सम्मान के साथ पालन करेगी।
तिरंगे के अपमान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया
गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली की सड़कों पर हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस पवित्र दिन और तिरंगे का अपमान करना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि संविधान अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार जरूर देता है मगर इसके साथ ही संविधान हमें यह भी सिखाता है कि कानूनों और नियमों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन किया जाना चाहिए।
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गलतफहमी दूर करने का प्रयास
संसद में अभिभाषण के दौरान राष्ट्रपति सरकार की नीतियों का ही बखान करते हैं और राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिए सरकार ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानूनों के संबंध में किसानों के मन में गलतफहमी पैदा की गई है। सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है जबकि किसानों के मन में यह बात घर कर गई है कि सरकार उनकी सुविधाएं और अधिकार छीन रही है।
जवानों के बलिदान को किया याद
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य विवाद की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने पिछले साल जून में मातृभूमि की रक्षा के लिए 20 जवानों के बलिदान को याद किया और देशवासियों की ओर से इन शहीदों के प्रति कृतज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार देश के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह कटिबद्ध और सतर्क है।
उन्होंने नक्सली हिंसा की घटनाओं में कमी आने का दावा करते हुए कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र का दायरा धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर का विशेष तौर पर उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की विकास नीति को राज्य के लोगों का भरपूर समर्थन मिला है और आजादी के बाद पहली बार जम्मू कश्मीर में जिला परिषद के चुनाव सफलता के साथ संपन्न हुए हैं।
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वंदे भारत मिशन को मिली सराहना
वंदे भारत मिशन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया भर में सरकार की ओर से चलाए गए इस सबसे बड़े अभियान के सराहना हो रही है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से 50 लाख भारतीयों को स्वदेश वापस लाने के साथ ही एक लाख से अधिक विदेशी नागरिकों को भी उनके देशों तक पहुंचाना महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
भारत के प्रति निवेशकों का आकर्षण
कोरोना महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था को पहुंचे नुकसान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अब देश इस स्थिति से उबरने लगा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस मुश्किल समय में भी भारत दुनिया के निवेशकों के लिए आकर्षक स्थान बनकर उभरा है और दुनिया भर के निवेशक यहां विभिन्न परियोजनाओं में निवेश के लिए आगे आ रहे हैं।
गरीबों के लिए सरकार फिक्रमंद
राष्ट्रपति ने आयुष्मान योजना और जनधन खातों का भी विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत देशभर में बने 7000 केंद्रों से गरीबों को काफी सस्ती दवाइयां मिल रही हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत देश में डेढ़ करोड़ गरीबों को पांच तक का मुफ्त इलाज भी मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बैंकों के दरवाजे गरीबों के लिए खोल दिए हैं और इसके तहत 41 करोड़ से अधिक गरीबों के जनधन खाते खोले गए हैं इनमें से भी आधे से अधिक खाते गरीब बहनों और बेटियों के हैं।
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विपक्ष ने किसानों के साथ दिखाई एकजुटता
राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करके विपक्षी दलों ने किसानों के साथ एकजुटता का संदेश दिया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को ही स्पष्ट कर दिया था कि सरकार ने संसद में कृषि कानूनों को जबरन पास कराया है और इसके खिलाफ आंदोलनरत किसानों के समर्थन में विपक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेगा।
कांग्रेस और देश के अन्य प्रमुख सियासी दलों में इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई और किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए नए कृषि कानूनों को अविलंब रद्द करने की मांग की है।
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