प्राइवेट अस्पताल में कोरोना के इलाज पर सुनवाई, SC ने केंद्र सरकार से पूछा ये सवाल

प्राइवटे अस्पतालों में कोरोना इलाज की खर्च सीमा तय करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को हो गया है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा है।

Update: 2020-06-05 08:11 GMT

नई दिल्ली: प्राइवटे अस्पतालों में कोरोना इलाज की खर्च सीमा तय करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा है। इस मामले की सुनवाई एक हफ्ते के बाद होगी।

दरअसर सुप्रीम कोर्ट ने निजी और धर्मार्थ अस्पतालों में फ्री या कम खर्चे में कोरोना वायरस के इलाज को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। केंद्र सरकार ने इस मामले में गुरुवार को हलफनामा दायर कर कहा कि उसके पास निजी या धर्मार्थ अस्पतालों को कोरोना रोगियों को मुफ्त इलाज देने के लिए कोई वैधानिक शक्ति नहीं है। केंद्र के इस जवाब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज नहीं हो सकता है?

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शुक्रवार को फिर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट में हॉस्पिटल एसोसिएशन की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना केवल चिन्हित लाभार्थियों के लिए है। हम पहले से ही रियायती दरों पर इलाज कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से सचिन जैन ने कहा कि भारत सरकार को नागरिकों के साथ खड़ा होना चाहिए न कि कॉरपोरेट अस्पतालों के साथ। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस संकट में हमें निजी क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में शामिल करना होगा। कोरोना इलाज के लिए आयुष्मान भारत में अच्छी तरह से परिभाषित पैकेज उपलब्ध हैं, औसत दैनिक बिल 4000 रु।

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इसके बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबडे ने कहा कि क्या आप चाहते हैं कि किसी हॉस्पिटल को अभी मुनाफा नहीं कमाना चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि मैं अभी आपको दिखा सकता हूं कि आयुष्मान भारत योजना को अस्पतालों की लाभप्रदता को ध्यान में रखते हुए कैसे तय किया गया है।

सीजेआई ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना व्यक्तियों के लिए लागू है? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सरकार द्वारा लाभार्थियों की चिन्हित श्रेणियों के साथ तैयार की गई योजना है। वे सभी लोग जो इलाज का खर्च उठा नहीं सकते, वे इस योजना से आच्छादित हैं। हमने अपने हलफनामे में बताया है कि आयुष्मान भारत योजना कैसे काम करती है।

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हरीश साल्वे की तरफ से कहा गया है कि स्थिति खराब है और अन्य बीमारियों के लिए अस्पतालों में कोई जगह नहीं है। राजस्व में 60 फीसदी की कमी आई है, तो वहीं, मुकुल रोहतगी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने गंगाराम अस्पताल को बदल दिया है, जो एक सामान्य कोरोना अस्पताल में विशिष्ट अस्पताल है। कोई भी अस्पताल मुनाफा नहीं कमा रहा है।

सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या हॉस्पिटल आयुष्मान की दर पर इलाज करने के लिए तैयार हैं? हरीश साल्वे ने कहा कि हम जनहित याचिका और केंद्र के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करना चाहते हैं। अब मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।

 

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