किसान परिवारों पर जबरदस्ती: आंदोलन को लेकर हुआ खुलासा, गांव से ऐसे आ रहे लोग

हजारों की तादात में किसान लालकिले पर संगठन का झंडा फहराने के लिए जमा हुए थे। लेकिन इस हिंसात्मक रैली के बाद कई किसान संगठनों ने आंदोलन से खुद को अलग कर लिया और अपने-अपने घरों को वापस हो लिए। ऐसे में पंजाब की एक पंचायत ने बहुत ही अजीबो-गरीब फैसला सुनाया है।

Update: 2021-02-01 06:11 GMT

चंडीगढ़: दिल्ली की सीमाओं पर बीते 68 दिनों से किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। लगातार जारी आंदोलन के बीच 26 जनवरी के दिन किसान रैली में हिंसा हुई, जिससे पूरी राजधानी दहल उठी। हर तरफ तोड़फोड़ मारपीट झड़प से बवाल मचा हुआ था। हजारों की तादात में किसान लालकिले पर संगठन का झंडा फहराने के लिए जमा हुए थे। लेकिन इस हिंसात्मक रैली के बाद कई किसान संगठनों ने आंदोलन से खुद को अलग कर लिया और अपने-अपने घरों को वापस हो लिए। पर जब आंदोलन खत्म होता भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने देखा तो वे भावुक हो गए। जिसके चलते अब फिर से बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शनस्थलों पर पहुंच रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही पंजाब की एक पंचायत ने बहुत ही अजीबो-गरीब फैसला सुनाया है।

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परिवार से कोई भी सदस्य

ये अजीबो-गरीब फैसला मोगा के गांव साफूवाला की ग्राम पंचायत ने सुनाया है। ऐसे में इस फैसले के मुताबिक, गांव के हर घर से एक सदस्य दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होगा। और तो और जिस परिवार से कोई भी सदस्य दिल्ली नहीं जायेगा उसे 2 हजार रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा।

इसके साथ ही हर ग्रामीण से 100 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से वहां खर्चे पानी के लिए लिया जायेगा। अब यदि वहां किसी को कोई नुकसान होता है तो उसकी भरपाई पूरा समूह करेगा। बता दें, यह फरमान मोगा के गांव के सरपंच ने पढ़ कर सुनाया। जो अब चर्चाओँ का विषय बना हुआ है।

फोटो-सोशल मीडिया

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1500 रुपये का जुर्माना

दरअसल बठिंडा में विर्क खुर्द ग्राम पंचायत ने किसान आंदोलन को लेकर एक बैठक की। इसके साथ ही फैसला लिया गया कि हर परिवार से एक-एक सदस्य को किसान आंदोलन में भेजा जाएगा, जो वहां जाकर नए कृषि कानूनों का विरोध करेंगे।

जिबकी उनके लिए प्रदर्शनस्थल पर कम से कम एक हफ्ते रहना अनिवार्य है। ऐसे में अगर किसी परिवार ने ऐसा करने से मना किया तो उसके ऊपर 1500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

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