अमरिंदर की चेतावनी: SYL नहर बनी तो जल उठेगा पंजाब, राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर का विरोध करते हुए बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि एसवाईएल नहर बनती है तो इससे पंजाब में आग लग जाएगी।

Update: 2020-08-19 04:46 GMT
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर का विरोध करते हुए बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि एसवाईएल नहर बनती है तो इससे पंजाब में आग लग जाएगी। कैप्टन ने दो टूक कहा कि एसवाईएल मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए इस मुद्दे को राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में देखे जाने की जरूरत है।

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई बैठक

एसवाईएल नहर के मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में कैप्टन ने यह चेतावनी दी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई बैठक में दोनों राज्य अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को दशकों पुराने इस विवाद में केंद्र सरकार को मध्यस्थता करने का निर्देश दिया था।

पाकिस्तान उठा सकता है फायदा

बैठक के दौरान पंजाब के सीएम ने साफ तौर पर कहा कि अगर आप एसवाईएल नहर मुद्दे पर आगे बढ़ते हैं और यदि नहर का पानी हरियाणा के साथ साझा करने के लिए कहा जाता है तो पंजाब जल उठेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लगातार पंजाब में माहौल खराब करने की कोशिश में जुटा हुआ है और पानी का मुद्दा इस आग को और भड़का सकता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को तूल देकर पाकिस्तान प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस संगठन के अलगाववादी मूवमेंट को फिर से भड़का सकता है।

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हरियाणा-राजस्थान भी होंगे प्रभावित

अगर ऐसा हुआ तो इससे हरियाणा और राजस्थान भी निश्चित तौर पर प्रभावित होंगे। कैप्टन ने कहा कि जब 2004 में उन्होंने सभी राज्यों के साथ हुए जल समझौते रद्द करने के लिए एक बिल पास कराया था तो उस समय भी ऐसी रिपोर्ट आई थी कि पानी की समस्या को लेकर चल रहे प्रदर्शन हिंसक हो सकते हैं।

पंजाब को नहीं मिला हक

बैठक के बाद कैप्टन अमरिंदर ने कहा है कि मैंने हरियाणा के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को साफ कर दिया है कि 1966 में पंजाब और हरियाणा में संसाधनों का बंटवारा 60:40 के अनुपात में हुआ था मगर इसमें नदी के जल को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब का यमुना के पानी पर हक था मगर राज्य के बंटवारे के बाद 60:40 की हिस्सेदारी के मुताबिक पंजाब को पानी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यह पंजाब के लिए भावनात्मक मुद्दा है और मैं इस मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ बैठकर चर्चा करना चाहता हूं।

राजस्थान को भी शामिल करने का सुझाव

कैप्टन अमरिंदर ने सुझाव दिया एसवाईएल और रावी- व्यास जल मुद्दे पर चर्चा में राजस्थान को भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि राजस्थान भी इसमें स्टेकहोल्डर है। उन्होंने कहा कि पानी के बंटवारे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने मीटिंग को सकारात्मक बताते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री पंजाब के पक्ष को अच्छी तरह समझते हैं।

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फिर होगी दोनों राज्यों की बैठक

कैप्टन ने कहा कि इरडी आयोग ने 40 साल पहले पानी का बंटवारा किया था जबकि अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए हर 25 साल में आकलन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब के पास जमीन ज्यादा आने के बावजूद हरियाणा को पहले से ही ज्यादा पानी मिल रहा है। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि एसवाईएल के मुद्दे पर पंजाब-हरियाणा के मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में एक बार फिर मिल बैठकर चर्चा करेंगे। इस बैठक की तारीख और समय बाद में तय किया जाएगा।

नहर के निर्माण में अनावश्यक देरी

दूसरी ओर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि एसवाईएल नहर के निर्माण में अनावश्यक देरी की जा रही है। उन्होंने कहा पंजाब को सुप्रीम कोर्ट के आदेश और जल समझौते को ध्यान में रखते हुए इस नहर के निर्माण की बाधाएं खत्म करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पानी बंटवारे से पहले पंजाब को केंद्र की एजेंसी को नहर का निर्माण करने देना चाहिए।

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