सिद्धू पर बदले कैप्टन के सुर, मेल-मिलाप से होगा कांग्रेस को सियासी फायदा

कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच मुलाकात की पटकथा पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने लिखी थी। पिछले दिनों उन्होंने इस बाबत सिद्धू और कैप्टन से अलग-अलग मुलाकात की थी और दोनों नेताओं से अनुरोध किया था कि वे आपसी बातचीत के जरिए अपने मतभेद दूर करें।

Update:2021-03-19 10:04 IST
सिद्धू पर बदले कैप्टन के सुर, मेल-मिलाप से होगा कांग्रेस को सियासी फायदा (PC: social media)

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच मेल-मिलाप की कोशिशें परवान चढ़ती दिख रही हैं। दोनों नेताओं के बीच हाल में कैप्टन के सिसवां फार्म पर मुलाकात हुई थी और इस मुलाकात के बाद अब कैप्टन के सुर भी बदले हुए नजर आ रहे हैं।

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उनका कहना है कि नवजोत के परिवार के साथ मेरा आत्मीय और गहरा रिश्ता है और जल्दी ही वे हमारी टीम का हिस्सा होंगे। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस के दो प्रमुख नेताओं के बीच मेलमिलाप को पार्टी के नजरिए से अच्छा माना जा रहा है।

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हरीश रावत ने लिखी मुलाकात की पटकथा

कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच मुलाकात की पटकथा पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने लिखी थी। पिछले दिनों उन्होंने इस बाबत सिद्धू और कैप्टन से अलग-अलग मुलाकात की थी और दोनों नेताओं से अनुरोध किया था कि वे आपसी बातचीत के जरिए अपने मतभेद दूर करें।

इससे पहले रावत ने पंजाब कांग्रेस के कई नेताओं से भी मुलाकात की थी और इन नेताओं का भी कहना था कि पार्टी की मजबूती के लिए दोनों नेताओं के बीच मतभेद दूर करना जरूरी है। माना जा रहा है कि हाईकमान के निर्देश पर रावत ने दोनों नेताओं के बीच मुलाकात की जमीन तैयार की।

मतभेद से कैप्टन का इनकार

सिद्धू से मुलाकात के बाद पटियाला में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया के सवालों के जवाब में कैप्टन ने सिद्धू से किसी भी प्रकार का मतभेद होने से इनकार किया। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू को दरकिनार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की बात करना बिल्कुल गलत है।

सिद्धू को मिल सकती है अहम जिम्मेदारी

कैप्टन के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच दूरियां घटी हैं और सिद्धू को जल्द ही कांग्रेस में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। पंजाब के इन दोनों प्रमुख कांग्रेसी नेताओं के बीच मेलमिलाप को इसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।

मतभेद दूर करने में हाईकमान की भूमिका

सिद्धू केंद्र सरकार की ओर से पारित नए कृषि बिलों पर भी कैप्टन सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने इन बिलों के खिलाफ पंजाब कांग्रेस की ओर से आयोजित कुछ कार्यक्रमों में हिस्सा भी लिया था मगर बाद में वे इन आयोजनों से कट गए थे।

उसके बाद सिद्धू की कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात हुई थी। सिद्धू ने पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी भेंट की थी। इस मुलाकात के बाद ही कैप्टन और सिद्धू के बीच मतभेद खत्म करने की चर्चाओं ने जोर पकड़ा था। यही कारण है कि यह माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने ही रावत को पंजाब भेजकर दोनों नेताओं के बीच मुलाकात कराई है।

काफी दिनों से नाराज चल रहे सिद्धू

कैप्टन और सिद्धू के बीच 2 जुलाई 2019 में मतभेद ज्यादा गहरा गए थे और सिद्धू ने कैप्टन सरकार पर हमला बोला था। सिद्धू के इस रवैए से नाराज कैप्टन ने महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी उनसे छीन ली थी और उन्हें महत्वहीन विभाग सौंप दिए थे।

कैप्टन के इस कदम से नाराज होकर सिद्धू ने सरकार से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद से ही वे कांग्रेस की गतिविधियों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी छीने जाने को सिद्धू ने अपना अपमान माना था। सिद्धू की पत्नी भी कांग्रेस विधायक रही हैं। माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के बीच मतभेद दूर होने पर सिद्धू को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

कांग्रेस को लड़नी है बड़ी सियासी जंग

सियासी जानकारों का मानना है कि पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सियासी जंग लड़नी है। पंजाब में भाजपा और अकाली दल का गठबंधन टूट चुका है और ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों दल अपने दम पर चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत जो करेंगे।

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आप भी पंजाब के चुनाव में दम दिखाने की तैयारी में जुटी हुई है। कांग्रेस भी पंजाब को अपने हाथ से नहीं निकलने देना चाहती। इसी कारण पार्टी हाईकमान की ओर से पंजाब कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के बीच मतभेद दूर करने की पहल की गई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में सिद्धू को क्या महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाती है।

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