नई दिल्लीः महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस का हाथ बताकर कानूनी जंग में घिरे राहुल को बुधवार को बड़ी राहत मिली। इस मामले में 8 दिसंबर 1947 की एक पुलिस रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में दर्ज है कि आरएसएस ने गांधी को धमकी दी थी और उसका मकसद उन्हें शांत करना था। बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल से कहा था कि या तो वे अपने बयान के पक्ष में सबूत पेश करें या कानूनी कार्रवाई का सामना करें।
इस मामले में बुधवार को ही सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने भी महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट के मजिस्ट्रेट को भी फटकार लगाई। मजिस्ट्रेट ने इस मामले में पुलिस से रिपोर्ट तलब की थी।
क्या कहती है दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट?
-8 दिसंबर 1947 को दिल्ली सीआईडी पुलिस की रिपोर्ट सामने आई है।
-रिपोर्ट के मुताबिक शाम को करीब 5 बजे आरएसएस के करीब 2500 स्वयंसेवक रोहतक रोड पर जमा थे।
-उन्हें आरएसएस के तत्कालीन प्रमुक गुरु एमएस गोलवलकर ने संबोधित किया था।
-गोलवलकर ने कहा था कि गांधी चाहते हैं कि मुस्लिम भारत में रहें और वो हिंदू समुदाय को और गुमराह नहीं कर सकते।
-रिपोर्ट के मुताबिक गोलवलकर ने उस दिन ये भी कहा था कि ऐसे लोगों को अब शांत करना ही होगा।
मजिस्ट्रेट पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल
-भिवंडी कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला चल रहा था।
-राहुल ने अपने खिलाफ मामला खारिज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है।
-महाराष्ट्र सरकार के वकील की मौजूदगी पर राहुल के वकील ने सवाल उठाए। इस पर वकील ने दलील दी कि भिवंडी कोर्ट ने मामले में पुलिस को शामिल किया है।
-इस पर जस्टिस मिश्रा और जस्टिस नरीमन की बेंच ने पूछा कि मजिस्ट्रेट कैसे मानहानि केस में पुलिस जांच का आदेश दे सकते हैं। ये प्रक्रियागत गलती है।
राहुल के खिलाफ क्या है मामला?
-आरएसएस कार्यकर्ता राजेश महादेव कुंटे ने मार्च 2014 में मानहानि याचिका दाखिल की थी।
-याचिका में कहा गया है कि भिवंडी के सोनाली कस्बे में प्रचार के दौरान राहुल ने गांधी की हत्या में आरएसएस का हाथ बताया था।
-आरएसएस भी चाहता है कि इस मामले में अदालत से आर-पार का फैसला हो जाए। संगठन के नेताओं के मुताबिक इस मामले में बार-बार सफाई देने और उससे नाथूराम गोडसे के रिश्तों को जोड़कर दुष्प्रचार चलाया जाता है।
-बता दें कि आरएसएस हमेशा कहता है कि गांधी की हत्या से उसका कोई लेना-देना नहीं था और नाथूराम गोडसे का भी आरएसएस से कोई ताल्लुक नहीं था।
-गांधी की हत्या को गोलवलकर ने जघन्य घटना और गोडसे को विक्षिप्त मानसिकता का बताया था। साथ ही उन्होंने हत्या के बाद 13 दिन के लिए अपने सारे कार्यक्रम भी रद्द कर दिए थे।