Modi Surname Case: राहुल गांधी की याचिका पर SC ने गुजरात सरकार और पूर्णेश को भेजा नोटिस, 4 अगस्त को अगली सुनवाई

Modi Surname Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात सरकार और याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया।

Update:2023-07-21 11:56 IST
Modi Surname Case (Social Media)

Modi Surname Case: मोदी सरनेम मानहानि मामले में आज शुक्रवार (21 जुलाई) को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात सरकार और याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने 10 दिनों के अंदर जवाब देने के लिए कहा है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई चार अगस्त होगी। इस पूरे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की दो सद्स्यीय बेंच कर रही है, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा शामिल हैं।

सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को सुनाई थी दो साल की सजा

बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार ने जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी सरनेम को लेकर एक बयान दिया था। इसके खिलाफ बीजेपी विभायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया था। पूरे मामले में सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी ठहराया था साथ ही दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि सजा के तुरंत बाद उन्हे जमानत मिल गई। इसके बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।

नियमत: सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं राहुल गांधी

सूरत कोर्ट से सजा होने के बाद राहुल गांधी ने सूरत सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट भी गए लेकिन वहां से भी राहुल गांधी को राहत नहीं मिली थी। इसके बाद 15 जुलाई को राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं पूर्णेश मोदी ने भी सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी, कि उन्हे बिना सुने फैसला न दिया जाए।

राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में दी ये दलीलें

मोदी सरनेम मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में राहुल गांधी ने कहा कि यदि हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार तथा स्वतंत्र वक्तव्य का दम घुट जाएगा। याचिका में कहा है कि, 'यदि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोकतांत्रिक संस्थाओं को व्यवस्थित तरीके से, बार-बार कमजोर करेगा। परिणाम स्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा। उन्होंने कहा, अगर ऐसा होता है तो ये भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक होगा।

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