Rainfall Alert in Delhi: सावधान! क्या सच में बाढ़ में डूब जाएगी पूरी दिल्ली, इसलिए यमुना ही बनेगी तबाही का कारण
Rainfall Alert in Delhi NCR: दिल्ली एनसीआर में चल रही लगातार बारिश के बाद नदी के पास के निचले इलाकों को बाढ़ का खतरा माना जाता है। अरविंद केजरीवाल ने मामले में मीटिंग बुलाई।
Rainfall Alert in Delhi NCR: पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों में भारी बारिश से राजधानी दिल्ली पर डूबने का खतरा पैदा हो गया है। नदी के किनारों पर निर्माण, रिहाइश, डूब क्षेत्रों का कम होते जाना - इन सबकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। दिल्ली में यमुना में जल स्तर 'खतरनाक' निशान के बहुत करीब है, और कल तक इसे पार करने की संभावना है क्योंकि दिल्ली एनसीआर, साथ ही हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे उत्तरी राज्यों में भारी बारिश जारी रहने की चेतावनी है। यानी दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद और गुरुग्राम के लिए अगले तीन दिन खतरे वाले हैं।
हरियाणा से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से दिल्ली में यमुना उफान पर है। दिल्ली ने भारी बारिश का हाल देख ही लिया है। पानी निकलने की जगह बची ही नहीं है। ऐसे में जब नदी की बाढ़ का पानी शहर में घुसेगा तो क्या हाल होगा, ये भयावह होगा।
लाखों क्यूसेक पानी
हरियाणा ने हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा है।9 जुलाई की शाम 4 बजे 1,05,453 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। आम तौर पर, बैराज पर प्रवाह दर 352 क्यूसेक है, लेकिन जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा से डिस्चार्ज बढ़ जाता है। बैराज से पानी दिल्ली पहुंचने में करीब दो से तीन दिन लग जाते हैं।
भारी बारिश
राष्ट्रीय राजधानी में 1982 के बाद से जुलाई में एक दिन में सबसे अधिक बारिश हुई है। रविवार 9 जुलाई को सुबह 8:30 बजे समाप्त हुई 24 घंटे की अवधि में 153 मिमी बारिश दर्ज की गई। सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे के बीच शहर में 105 मिमी अतिरिक्त बारिश हुई, जिससे स्थिति और खराब हो गई।
यमुना का जलग्रहण क्षेत्र
यमुना नदी प्रणाली का जलग्रहण क्षेत्र उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्सों को कवर करता है। दिल्ली में नदी के पास के निचले इलाकों को बाढ़ का खतरा माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में नदी के बाढ़ क्षेत्र पर बहुत अतिक्रमण हुआ है। दिल्ली पिछले साल भी यमुना की बाढ़ देख चुका है जब हजारों को लोगों हटाना पड़ा था। इस बार भी वही दोहराए जाने के आसार हैं। बाढ़ की समस्या साल दर साल खराब ही होती जा रही है लेकिन इसका कोई समाधान भी नजर नहीं आ रहा है।