राजस्थान में फिर नहीं बदला ट्रेंड, 25 साल से हर चुनाव में बदल जाती है सत्ता

Update:2018-12-11 17:48 IST

लखनऊ: राजस्थान की जनता ने पिछले 25 साल से चल रही परंपरा इस बार भी नहीं तोड़ी। राजस्थान की जनता ने इस बार भी वही किया जो वह पिछले 25 सालों से करती आ रही है। सूबे की जनता एक बार कांग्रेस को मौका देती है तो एक बार भाजपा को। इस बार भी जनता ने इस बार भी उसी ट्रेंड पर मतदान किया है। ताजा रुझानों के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस को 103 तो भाजपा को 69 सीटें मिलती दिख रही हैं।

राजस्थान का चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है। राज्य में 25 साल से यही ट्रेंड चल रहा है कि हर चुनाव में सरकार बदल जाती है। 1993 में भाजपा ने 38.60 फीसदी वोटों के साथ 95 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की थी। उस चुनाव में कांग्रेस को 76 सीटें मिलीं थीं,लेकिन 1998 के चुनाव में फिर तस्वीर बदल गयी। उस चुनाव में कांग्रेस ने 44.95 फीसदी वोटों के साथ 153 सीटें जीतकर सरकार बनाई। उस चुनाव में भाजपा को 120 सीटें मिली थीं।

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2003 के चुनाव में फिर सूबे की जनता ने इसी ट्रेंड पर मतदान किया और भाजपा को सत्ता को चाबी सौंप दी। 2003 में भाजपा ने 39.20 फीसदी वोट हासिल कर कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया। इस चुनाव में भाजपा को 120 व कांग्रेस को 56 सीटें मिलीं। 2008 के चुनाव में सत्ता में फिर कांग्रेस की वापसी हुई। इस बार कांग्रेस को 36.82 फीसदी वोट मिले और उसने 96 सीटें जीतकर सरकार बनाई। भाजपा को 78 सीटों पर ही सिमट गयी। 2013 के चुनाव में भाजपा ने फिर कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया। भाजपा ने 46.05 फीसदी वोट के साथ 163 सीटों पर कब्जा कर लिया। इस चुनाव में कांग्रेस को जबर्दस्त झटका लगा और वह सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गयी।

2018 के चुनावों की तस्वीर भी सूबे की इसी परंपरा को आगे बढ़ाने वाली रही। इस बार फिर सूबे के लोगों ने सत्तारूढ़ भाजपा को सत्ता से बेदखल कर कांग्रेस को सत्तारूढ़ कर दिया। राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा सीटों में 199 सीटों पर चुनाव हुआ था। एक सीट पर प्रत्याशी का निधन हो जाने से मतदान नहीं हुआ था। 199 सीटों पर हुए मतदान में कांग्रेस भाजपा पर बीस पड़ी है और उसे सौ से अधिक सीटें मिलती दिख रही हैं। राज्य में पीएम मोदी की दस रैलियों के बावजूद भाजपा पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी।

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राज्य में भाजपा ने इस बार 70 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए थे। इससे नाराज होकर कई विधायकों ने बागी तेवर अपना लिए थे। तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा कई बागियों को मनाने में कामयाब रही मगर कई बागी अंत तक नहीं माने। उधर राज्य में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की संभावना को देखते हुए टिकट के सबसे ज्यादा दावेदार थे। पार्टी का टिकट न मिलने पर यहां भी कई नेता बागी हो गए। भाजपा व कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे के दिग्गजों को घेरने की कोशिश की मगर दोनों दल नाकामयाब रहे। भाजपा ने कांग्रेसी दिग्गज सचिन पायलट को टोंक में घेरने की कोशिश की और मगर सचिन ने वसुंधरा के कैबिनेट मंत्री युनूस खां को हरा दिया। वहीं वसुंधरा ने कांग्रेसी कोशिशों को विफल करते हुए कांग्रेस दिग्गज मानवेन्द्र सिंह को हरा दिया।

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राजस्थान के चुनावी रुझान कांग्रेस के पक्ष में आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस की मजबूती का कारण यह है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनता से जुड़े मुद्दे उठाए। ये चुनाव परिणाम इस बात का संकेत है कि आगे लोकसभा चुनाव में क्या होने वाला है। अब लोग ये मानने लगे हैं कि अच्छे दिन नहीं आए। दो करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष नौकरी और काला धन लाने सहित एक भी घोषणा पूरी नहीं हुई। देश की संवैधानिक संस्थाएं बर्बाद हो रही हैं। आरबीआई गवर्नर का इस्तीफा कोई मामूली घटना नहीं है। कांग्रेस ने सेमीफाइनल जीत लिया है और फाइनल में भी भाजपा पर भारी पड़ेगी।

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