Rajasthan Election 2023: सीएम पद पर बरकरार है वसुंधरा की दावेदारी, अटकलों पर लगाया विराम, करीबी नेता ने छोड़ी बीजेपी
Rajasthan Election 2023: वसुंधरा राजे ने राजनीति से रिटायर होने का संकेत देकर पिछले दिनों सियासी गलियारों में हलचल मचा दी थी।
Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों जबरदस्त सियासी गहमागहमी है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में चुनाव बाद की रणनीति को लेकर वरिष्ठ नेताओं में खींचतान मची हुई है। बीजेपी में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया तो कांग्रेस में मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मजबूती से अपनी दावेदारी जता रहे हैं। इस बीच वसुंधरा राजे ने राजनीति से रिटायर होने का संकेत देकर पिछले दिनों सियासी गलियारों में हलचल मचा दी थी। लेकिन 24 घंटे भी वह अपने बयान पर कायम नहीं रहीं और पलट गईं।
शनिवार को दिनभर उनका बयान मीडिया की सुर्खियों में बना रहा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कल ही झालावाड़ की झालरापाटन विधानसभा सीट से बतौर बीजेपी प्रत्याशी अपना नामांकन भी दाखिल किया। इसके बाद जब उनसे सियासत से सन्यास लेने के अटकलों पर सवाल किया गया तो उन्होंने दो-टूक कहा कि वो कहीं जा रहीं। अगर उन्हें रिटायरमेंट लेना होता तो आज नामांकन ही क्यों दाखिल कर देतीं। उनके इस बयान के बाद अटकलों पर पूर्ण विराम लग गया है।
क्या कहा था वसुंधरा ने ?
शुक्रवार को नामांकन दाखिल करने से पहले झालावाड़ में बीजेपी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने अपने बेटे और झालावाड़-बारण सीट से लोकसभा सांसद दुष्यंत सिंह की तारीफ करते हुए कहा था कि मुझे लग रहा है कि अब मैं रिटायर हो सकती हूं। लोगों ने सांसद साहब (दुष्यंत सिंह) को सही प्रशिक्षण और स्नेह दिया है और उन्हें सही रास्ते पर रखा है। उन्हें अब दुष्यंत के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।
ऐसे बयान से पलटीं वसुंधरा
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सबसे कद्दावर नेत्री और सीएम पद की प्रबल दावेदार वसुंधरा राजे सिंधिया ने 24 घंटे अपने पुराने से पीछे हटते हुए कहा, झालावाड़ मेरा परिवार है। इस परिवार में हम बहुत सी बातें करते हैं, जिनका कोई राजनैतिक अर्थ नहीं होता है। मैंने कल ऐसा (मुझे लगता है कि मैं अब रिटायर हो सकती हूं) इसलिए कहा क्योंकि बेटे दुष्यंत को देखने के बाद, उनका भाषण सुनने के बाद और लोगों की प्रतिक्रिया देखकर मुझे खुशी हुई। मैं चाहूंगी यह स्पष्ट करने के लिए कि मैं कहीं नहीं जा रही हूं, मैंने अभी अपना नामंकन दाखिल किया है। रिटायरमेंट के बारे में कुछ भी मन में न रखें।
वसुंधरा के करीबी ने छोड़ी बीजेपी
एक तरफ जहां अपने बयान से पलटी मारते हुए वसुंधरा राजे सिंधिया ने मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी फिर से जता दी है। वहीं, उनके कुछ करीबी नेता टिकट कटने से परेशान चल रहे हैं। बीजेपी ने पूर्व मंत्री युनूस खान, पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को इस बार टिकट नहीं दिया है। तीनों वसुंधरा के बेहद नजदीकी बताए जाते हैं। पूर्व मंत्री युनूस खान ने तो पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वे डीडवाना विधानसभा सीट से टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने किसी और को वहां से प्रत्याशी बनाया है। जिससे खफा होकर खान ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया।
राजस्थान में बीजेपी के बड़े मुस्लिम नेता थे खान
युनूस खान राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र बड़े मुस्लिम चेहरे थे। वे दो बार डीडवाना विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। 2013 से 2018 के दौरान वसुंधरा राजे की सरकार में वो परिवहन मंत्री हुआ करते थे। बीजेपी आलाकमान ने उन्हें 2018 के विधानसभा चुनाव में टोंक विधानसभा सीट से सचिन पायलट के खिलाफ उम्मीदवार बनाया था। हालांकि, वे जीत नहीं पाए थे। अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण बीजेपी ने खान को टोंक से उतारा था। युनूस खान ने डीडवाना से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर इस सीट पर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।