जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन मामले में ऐतिहासिक आदेश देते हुए शुक्रवार को कहा कि इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देनी आवश्यक है।
जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास और जस्टिस विरेन्द्र कुमार माथुर की खंडपीठ ने कहा कि जब तक प्रदेश सरकार धर्म परिवर्तन को लेकर कानून नहीं बनाती है तब तक यही गाइड लाइन रहेगी। इसके अलावा अब नाबालिग बालक-बालिकाओं का किसी भी सूरत में धर्म परिवर्तन नहीं हो सकेगा, लेकिन बालिग युवक-युवती धर्म परिवर्तन कर सकते हैं।
जो धर्म परिवर्तन करने का इरादा रखते हैं और जिस धर्म को ग्रहण करना चाहते हैं, उनका पूरा ब्यौरा लेकर पहले खुद को संतुष्ट करना चाहिए। धर्म परिवर्तन से पहले संबंधित कलेक्टर या एसडीएम को सूचना देनी होगी। जो व्यक्ति धर्म परिवर्तन का इच्छुक है, वह संबंधित शहर के कलेक्टर या उपखंड अधिकारी या उपखंड मजिस्ट्रेट को परिवर्तन से पहले सूचना देंगे। कलेक्टर, उपखंड अधिकारी व उपखंड मजिस्ट्रेट उसी दिन यह सूचना अपने दफ्तर के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करेंगे।
- हाईकोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित हो रहा है, वह कनवर्जन के एक सप्ताह के बाद शादी या निकाह करेगा।
- संबंधित अथॉरिटी व व्यक्ति ऐसे विवाह और निकाह कराने से पहले यह सुनिश्चित करेंगे कि धर्म परिवर्तन की सूचना कलेक्टर को दी है या नहीं, इसके बाद ही वे शादी या निकाह में सहयोग करेंगे।
-कोर्ट के अनुसार देश के संविधान में प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता की बात कही गयी है अर्थात आप अपनी पसंद से किसी भी धर्म को अपना सकते है।
- देश में धर्म परिवतर्न की प्रकिया के संबंध में किसी तरह का कोई कानून नही है।
- कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से अपना धर्म अपना सकता है । कुछ राज्यो में लालच या दबाव में धर्म परिवर्तन कराने पर प्रतिबंध संबंधी कानून अवश्य है जबकि 6 राज्यो में धर्मांतरण विरोधी कानून है।
- ये राज्य गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश और झारखण्ड हैं।
- देश के तमाम राज्यो में धर्मंतारण विरोधी बने कानून गुजरात के कानून की नकल मात्र है। इस बिल के अनुसारर धर्म परिवर्तन के पहले कलेक्टर से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया गया है।
- जबरन धर्म परिवर्तन पर आरोपी को 4 साल की सजा का प्रावधान है।