कमल-रजनी की जोड़ीः एक नया चमत्कार, तमिल राजनीति ले रही करवट
फिल्म इंडस्ट्री के दोनों महारथियों में जमीन-असमान का अंतर है। विचारधारा से लेकर जिस तरह से दोनों ने अपने करियर बनाए हैं, दोनों अलग रहे हैं।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: साउथ के दो फिल्मी महानायक इन दिनों किसी फिल्म को लेकर नहीं होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा में हैं। दोनो की जमीन एक है तमिल जनता। दोनो ही राजनीति के अखाड़े में उतरे। लेकिन रजनीकांत ने हाल ही में चुनावी राजनीति से हटने के एलान करके कमल हासन को मजबूत कर दिया है जबकि रजनीकांत और कमल हासन ने कई मूलभूत अंतर हैं जिसमें प्रमुख है रजनीकांत का आस्तिक होना वह भगवान की कसमें खाते हैं लेकिन कमल हासन को भगवान के होने पर विश्वास न के बराबर है।
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फिल्म इंडस्ट्री के दोनों महारथियों में जमीन-असमान का अंतर है। विचारधारा से लेकर जिस तरह से दोनों ने अपने करियर बनाए हैं, दोनों अलग रहे हैं। एक की इमेज ऐक्शन हीरो की रही तो दूसरा हमेशा एक्सपेरिमेंट करता रहा। इस पूरे सफर के दौरान दोनों सितारे फिल्म इंडस्ट्री पर राज करते रहे। यही नहीं, दोनों ने अपनी दोस्ती भी 44 साल तक बनाकर रखी है जो अपने आप में एक मिसाल है।
कमल हासन की पार्टी एमएनएम को फायदा होगा
चुनावी मैदान से रजनीकांत के पीछे हटने से निश्चय ही कमल हासन की पार्टी एमएनएम को फायदा होगा। क्योंकि जो वोटर द्रमुक या अन्नाद्रमुक के कट्टर समर्थक नहीं हैं वे एमएनएम को वोट देंगे। द्रमुक या अन्नाद्रमुक की दिक्कत भी यही है उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों से जो चुनौती मिल रही है वह पूर्व मुख्यमंत्री एमजीआर की राजनीतिक विरासत पर दावा कर रहे हैं।
अब दोनों स्टार्स रजनीकांत अगर अलग अलग के बजाय एक साथ दोस्ती निभाते नजर आते हैं तो राजनीति की चौसर का रुख बदल सकता है। क्योंकि पहली बार राज्य का चुनाव जयललिता और करुणानिधि के बगैर होने जा रहा है। और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडापड्डी के पलानीस्वामी और उप मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेलवम के मतभेद अन्नाद्रमुक को झटका दे सकते हैं।
कमल हासन ने 18 महीने पहले मक्कल निधि मय्यम लॉन्च की थी
कमल हासन ने 18 महीने पहले मक्कल निधि मय्यम लॉन्च की थी। 2019 के आम चुनावों का अनुभव भी लिया। उधर, रजनीकांत ने 31 दिसंबर, 2017 को फैन्स के सामने राजनीति में कदम रखने की अपनी इच्छा रखी थी। हालांकि उन्होंने अब तक अपनी पार्टी लॉन्च नहीं की है।
उधर रजनीकांत के चुनावी राजनीति से किनारा करने से उनके द्वारा पूर्व में दिये ये संकेत स्पष्ट हो जाते हैं कि उनकी पार्टी आध्यात्मिक राजनीति करेगी और कमल हासन मध्यमार्ग अपनाएंगे। दोनो ही अभिनेता भाजपा से दूरी बनाकर रखने में एक राय हैं।
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कमल हासन ने साफ कर रखा है
कमल हासन ने साफ कर रखा है कि वह 'भगवा' पार्टी के साथ कभी नहीं जाएंगे। वहीं रजनीकांत भी कह चुके हैं कि 'भगवाकरण' किए जाने की कोशिशों में वह फंसाए नहीं जा सकेंगे। अब रजनीकांत के चुनावी राजनीति से बाहर होने की घोषणा ने यह संकेत दे दिए हैं कि जरूरत पड़ी तो दोनों हाथ मिलाने से पीछे नहीं हटेंगे। ऐसे में तमिलनाडु के लोगों को 2021 में राजनीति में एक चमत्कार करना चाहिए और इसकी उम्मीद भी रखनी चाहिए।
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