RS में बोले राजनाथ- विराेध के बावजूद सार्क में आतंकवाद पर PAK को घेरा

Update:2016-08-05 00:56 IST

नई दिल्लीः इस्लामाबाद में सार्क देशों के सम्मेलन से वापस भारत लौटे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में यह माना कि पाकिस्‍तान में उनका विरोध हुआ था। राजनाथ ने कहा कि सिक्‍योरिटी रीजन के चलते कार्यक्रम स्‍थल तक उन्‍हें हेलीकॉप्‍टर से ले जाया गया। राजनाथ ने कहा कि सम्मेलन में उन्होंने आतंकवाद का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। उन्‍होंने कहा कि आतंकी कभी शहीद नहीं हो सकता। आतंकियों में अच्छे और बुरे की बात नहीं होनी चाहिए। आतंकवादी मानवाधिकार का सबसे बड़ा दुश्मन है।

ध्यान रहे नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर में मारे गए आतंकी बुरहान को शहीद बताया गया था। इसी पर सार्क सम्मेलन में राजनाथ ने पाक पीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकियों को बढ़ावा देने वालों पर सख्त कार्रवाई होने चाहिए। आतंकवाद का महिमामंडन बंद होना चाहिए । राजनाथ ने राज्‍यसभा में कहा कि आतंकवाद पर पाकिस्‍तान मानता नहीं है भगवान उसे सद्बुद्धि दे।

लंच के लिए नहीं गया था पाक

-राज्‍यसभा में राजनाथ ने कहा कि पाक के गृहमंत्री ने लंच के लिए सभी को आमंत्रित किया था।

-लेकिन वह स्वयं चले गए। देश की मर्यादा के लिए मुझे जो सही लगा मैंने किया।

-राजनाथ ने कहा कि मैं पाक लंच करने नहीं गया था।

भारतीय मीडिया को अंदर जाने से रोका गया

-पाक में हुए बर्ताव पर गृहमंत्री ने कहा कि मैं इसे बताना नहीं करना चाहता।

-उन्होंने कहा कि दूरदर्शन, पीटीआई से भारतीय मीडिया गई थी उसे कार्यक्रम के अंदर नहीं जाने दिया गया।

-मेरे कार्यक्रम की भी कवरेज हुई या नहीं मुझे इसका मलाल नहीं।

-पाकिस्‍तान में मेरा विरोध हुआ है, लेकिन अगर मुझे विरोध की चिंता होती तो मैं पाकिस्‍तान नहीं जाता।

राजनाथ ने क्या उठाए मुद्दे

-आतंकवाद पर विश्व द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का सम्मान किया जाए।

-राजनाथ ने कहा कि आतंकी किसी भी तरह से शहीद नहीं हो सकता।

-आतंकवाद को बढ़ावा ने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।

-आतंक को बढ़ावा देने वालों पर कार्रवाई हो।

-अच्छा बुरा आतंकवादी नहीं हो सकता।

-आतंकियों को बढ़ावा देने वालों पर कार्रवाई हो।

-आतंकवादी मानवाधिकार का सबसे बड़ा दुश्मन है।

-पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई,मनमोहन सिंह पड़ोसी मुल्क से दोस्ती के लिए कदम बढ़ते रहे हैं।

-लेकिन पड़ोसी है मुल्क है कि मानता ही नहीं।

-आतंकवाद के मुद्दे पर पाक मानने को तैयार नहीं है।

-भारत को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार सबकी सहमति से होगा।

-पाक मेें हुए विरोध को लेकर प्रतिक्रिया देना मैंने वहां उचित नहीं समझा।

-हमारे देश में अतिथियों का सम्मान होता है क्योंकि यह हमारी संस्कृति है।

-गोली कभी भी अपनी तरफ से पहले नहीं चलने देंगे।

-राजनाथ ने राज्यसभा में सभी दलों का आभार व्यक्त किया।

सार्क देशों के गृहमंत्रियों के सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान गए राजनाथ सिंह ने पड़ोसी देश को उसी के घर में आतंकवाद पर आईना दिखा दिया। राजनाथ ने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद का गढ़ इसी इलाके में है। उन्होंने पठानकोट, ढाका और काबुल में हुए हमलों का जिक्र किया। गृहमंत्री ने साफ कहा कि आतंकियों का महिमामंडन नहीं किया जा सकता। राजनाथ ने दिल्ली लौटकर पीएम मोदी को सम्मेलन में भारत की ओर से उठाए गए मुद्दों और पाकिस्तान के रुख की जानकारी दी।

बता दें कि पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने बीते कुछ दिनों में कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन किया है। पहले शरीफ ने आतंकी बुरहान वानी को शहीद बताया। बुधवार को उन्होंने कहा था कि कश्मीर में आजादी की नई जंग चल रही है। राजनाथ ने इसी को लेकर सार्क सम्मेलन में पाकिस्तान पर सीधा निशाना साधा।

दोनों पक्षों में बहस, राजनाथ ने लंच भी नहीं किया

सूत्रों के मुताबिक सम्मेलन में भारत और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के बीच तीखी बहस हुई। राजनाथ सिंह ने पाकिस्तानी गृहमंत्री चौधरी निसार से साफ कह दिया कि वह अगर लंच में हिस्सा लेंगे, तो मैं भी उसमें जाऊंगा। चौधरी निसार लंच में शामिल नहीं हुए। इस पर राजनाथ ने भी लंच नहीं किया और सीधे एयरपोर्ट पहुंचकर भारत लौट आए।

यह भी पढ़ें...नवाज शरीफ ने दिया भड़काऊ भाषण, कहा- कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा नहीं

चौधरी निसार ने दी सफाई

आतंकवाद पर राजनाथ की खरी-खोटी सुनने के बाद पाकिस्तानी गृहमंत्री चौधरी निसार ने बयान जारी किया। निसार ने कहा कि बजाय एक-दूसरे को उंगली दिखाने के, साथ चलने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने लंच में शामिल न होने के बारे में सफाई देते हुए कहा कि पहले से एक दूसरा प्रोग्राम तय था, उसमें जाने की वजह से वह लंच में हिस्सा नहीं ले सके।

नवाज शरीफ क्या बोले?

सार्क देशों के गृहमंत्रियों के सम्मेलन का उद्घाटन पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद सिर्फ पाकिस्तान के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए समस्या है। आतंकवाद रोकने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर इस चुनौती को सामना करना होगा।

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