शपथग्रहण में काली ड्रेस! क्यों पहनकर पहुंचे राजठाकरे, यहां जानें

कयास लग रहे हैं कि ठाकरे परिवार फिर एक होने जा रहा है लेकिन दूसरी तरफ इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि भगवाधारी दल शिवसेना से निकलकर अपना अलग दल बनाने वाले राजठाकरे काली ड्रेस में क्यों पहुंचे ?

Update:2019-11-28 21:04 IST

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में उद्वव ठाकरे के नेतृत्व में गठित हुई शिवसेना की गठबन्धन सरकार बनने की जितनी चर्चा पूरे देश हो रही है उससे ज्यादा चर्चा शपथग्रहण समारोह में पहुंचे उद्वव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे की हो रही है। कयास लग रहे हैं कि ठाकरे परिवार फिर एक होने जा रहा है लेकिन दूसरी तरफ इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि भगवाधारी दल शिवसेना से निकलकर अपना अलग दल बनाने वाले राजठाकरे काली ड्रेस में क्यों पहुंचे ?

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अंत में शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस का हुआ गठनबन्धन

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण पूरे एक माह सियासी ड्रामा चलता रहा। कभी भाजपा शिवसेना तो कभी भाजपा एनसीपी से लेकर कई तरह के गठजोड होने की संभावनाएं बनती बिगडती रही। लेकिन अंत में शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस का गठनबन्धन सरकार गठित कराने के लिए ही आगे आया और उद्वव ठाकरे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हो सका।

राज ठाकरे काली ड्रेस पहनकर शपथग्रहण समारोह में क्यों पहुंचे

पूरे शपथग्रहण समारोह के दौरान केवल इसी बात की चर्चा होती रही कि आखिरकार राजठाकरे आज काली वेशभूषा में यहां क्यों आए? वह उद्वव ठाकरे को समर्थन देने आए हैं अथवा अपना विरोध जताने आए हैं। दरअसल राजठाकरे को नजदीक से जानने वालों को पता है कि वह सदैव रंगीन अथवा सफेद ड्रेस ही पहनते रहे हैं। लेकिन आज ऐसी क्या बात हो गयी कि वह काली ड्रेसे पहनकर शपथग्रहण समारोह में पहुंच गए।

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एक महीने के राजनीतिक घटनाक्रम में राज ठाकरे का कहीं कोई बयान नहीं आया

एक महीने से ज्यादा चले घटनाक्रम में राज ठाकरे का कहीं कोई बयान नहीं आया और न ही राज ठाकरे कहीं नजर आए। मगर गुरुवार को अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे की शपथ ग्रहण समारोह में वह मंच पर प्रमुख नेताओं के साथ नजर आए। वह शिव सेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी के साथ गर्मजोशी के साथ बात करते भी दिखे। राज ठाकरे की मंच पर मौजूदगी से अटकलें लगने लगी हैं कि क्या पवार परिवार के बाद ठाकरे परिवार भी फिर से एक हो सकता है।

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दरअसल राजठाकरे और उद्वव ठाकरे ने एक साथ ही राजनीति शुरू की थी। पर बाद में दोनों की राजनीतिक राहे अलग अलग हो गयी। जहां उद्वव उदारवादी राजनीति करने वाले हैं वहीं राजठाकरें को आक्रामक राजनीति पर विश्वास करते रहें हैं।

नवनिर्माण सेना कुछ समय तक चर्चा में रहने के बाद गुमनामी के अंधेरे में चली गयी

शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे चाहते थें कि दोनों भाई साथ साथ राजनीति करें पर जीवित रहते ही उन्हे अपने भतीजे राज ठाकरे की बगावत देखनी पड़ी। राजठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम से अपनी पार्टी बना ली। इसके बाद 2009 विधानसभा चुनाव में 13 सीटें भी जीत लीं। मगर जल्द ही वह अपनी लोकप्रियता खोने लगें। उनकी पार्टी कुछ समय तक चर्चा में रहने के बाद गुमनामी के अंधेरे में चली गयी। इस बार चुनावों में महज एक सीट ही जीत सके।

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