बड़ा खुलासा: पाकिस्तान ने आतंकी कसाब को मारने के लिए दाऊद को दी थी सुपारी

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने 26/11 आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब को लेकर अपनी आत्मकथा में बड़ा दावा किया है। Let Me Say It Now शीर्षक से लिखी गई इस किताब में मारिया ने दावा किया है कि मुंबई पुलिस कसाब की तस्वीर जारी नहीं करना चाहती थी।

Update: 2020-02-18 07:59 GMT

मुंबई: मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने 26/11 आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब को लेकर अपनी आत्मकथा में बड़ा दावा किया है। Let Me Say It Now शीर्षक से लिखी गई इस किताब में मारिया ने दावा किया है कि मुंबई पुलिस कसाब की तस्वीर जारी नहीं करना चाहती थी।

मारिया ने दावा किया कि पुलिस ने पूरी कोशिश की थी कि आतंकी की डिटेल मीडिया में लीक न हो पाए। इतना ही नहीं, मारिया ने यह भी दावा किया है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम गैंग को कसाब को मारने की सुपारी भी दी गई थी।

मारिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, 'दुश्मन ( आतंकी कसाब) को जिंदा रखना मेरी पहली प्राथमिकता थी। कसाब के खिलाफ लोगों का आक्रोश और गुस्सा चरम पर था। इतना ही नहीं, मुंबई पुलिस के ऑफिसर भी आक्रोशित थे।

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा आतंकी कसाब को किसी भी हाल में उसे रास्ते से हटाने की फिराक में थे क्योंकि कसाब मुंबई हमले का सबसे बड़ा और एकलौता सबूत था।'

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26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का रूप देना चाहता था आईएसआई

राकेश मारिया ने अपनी किताब में दावा किया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की भी कोशिश की थी। 10 हमलावरों को हिंदू साबित करने के लिए उनके साथ फर्जी आईकार्ड भेजे गए थे। कसाब के पास भी एक ऐसा ही आईकार्ड मिला था, जिसपर समीर चौधरी लिखा हुआ था। उसके हाथों में कलावा मिला था।

26 नवंबर को मुंबई में हुए थे हमले

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में पाकिस्तान से समंदर के रास्ते आए 10 आतंकियों ने तीन जगहों पर हमला किया था। इन हमलों में 160 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इन हमलावरों में एकमात्र अजमल कसाब ही था, जिसे मुंबई पुलिस जिंदा पकड़ सकी थी। कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे दी गई थी।

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शीना बोरा मर्डर को लेकर भी कई खुलासे

आपको बता दें कि राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा में शीना बोरा मर्डर केस को लेकर भी कई बड़े दावे किए हैं। मारिया ने दावा किया है कि 2015 में शीना बोरा मर्डर केस की जांच के दौरान शुरुआत में संयुक्त पुलिस आयुक्त (लॉ ऐंड ऑर्डर) देवेन भारती ने यह खुलासा नहीं किया था कि वह मामले के मुख्य संदिग्ध पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी मुखर्जी को जानते थे। अपनी में राकेश मारिया ने जांच के दौरान हुए अपने तबादले को लेकर भी चुप्पी तोड़ी है। मारिया पर आरोप थे कि वह पीटर को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

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