केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बताया, इसलिए सब्जियां बिक रहीं महंगी

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने राशन संकट पर बात करते हुए कहा कि देश में खाद्यान्न का कोई संकट नहीं है।

Update: 2020-04-17 18:44 GMT

नई दिल्ली: पूरा देश इस समय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है। आए दिन देश में वायरस के संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में बढ़ते संक्रमण पर रोक लगाने के लिए सरकार द्वारा पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया है। ऐसे में कई लोगों के सामने खाद्यान्न संकट की स्थिति आ गई है। अब केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने राशन संकट पर बात करते हुए कहा कि देश में खाद्यान्न का कोई संकट नहीं है।

परिस्थिति से निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त भंडारण

खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में 39 लाख लाभार्थियों को राशन नहीं मिला है। इसके लिए हम आज ही राशन कार्ड बनाकर भेज सकते हैं। लेकिन लॉकडाउन में ऐसा होना संभव नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि जरूरतमंदों को गेंहू उपलब्ध कराया जाए। मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार पेमेंट देने के लिए तैयार है।

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पासवान ने स्वीकार किया कि दाल के वितरण में कुछ समस्याएं लॉकडाउन की वजह से आ रही हैं, जिसकी ज़िम्मेदारी एनएएफडी की है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मैं और कैबिनेट इस पर नजर बनाए हुए हैं। इस प्रॉब्लम को जल्दी से जल्दी खत्म किया जाएगा। पासवान ने कहा, 'देश में जो परिस्थिति है, उस परिस्थिति से निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त भंडारण है।

ट्रांसपोर्टेशन की वजह से बढ़े सब्जियों के दाम

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केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा, 'सब्ज़ियों की कीमत लॉकडाउन में कुछ ज़रूर बढ़ी हैं। उसका कारण है कि लॉकडाउन में ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत आ रही है। ट्रांसपोर्टेशन महंगा हो गया है, जिस वजह से सब्जियां मंडी में आते-आते थोड़ी महंगी हों जाती हैं। लॉकडाउन के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा।' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया जा चुका है कि जो लोग भी आवश्यक वस्तुओं पर तय कीमत से ज्यादा पैसा ले रहे हैं। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें सजा दी जाए। सभी राज्यों से कहा गया है कि जितना अनाज चाहिए केंद्र सरकार उतना अनाज देगी।

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