RBI की ताबड़तोड़ कार्रवाई: ग्राहकों को तगड़ा झटका, इस बैंक से पैसे निकालने पर रोक

निर्देशों के मुताबिक, मंता अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक आरबीआई की इजाजत के बिना कोई लोन या उधार नहीं दे पाएगा। इसके साथ ना ही पुराने कर्जों का नवीनीकरण या ना ही कोई निवेश कर सकता है।

Update: 2020-11-18 05:47 GMT
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक कोरोना काल में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में पहले की तुलना में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। इसी के मद्देनजर आरबीआई ने ये निर्णय लिया है।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 24 घंटे के अंदर दो बैंकों पर कड़ी कार्रवाई की। आरबीआई ने मंगलवार को लक्ष्मी विलास बैंक पर कार्रवाई की थी। अब उसने एक और बैंक पर पाबंदी लगा दिया है। आरबीआई ने महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर पाबंदी लगाई है। आरबीआई ने बैंक को कुछ निर्देश दिए हैं। यह निर्देश 17 नवंबर 2020 को बैंक बंद होने के बाद से छह माह तक लागू होंगे।

निर्देशों के मुताबिक, मंता अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक आरबीआई की इजाजत के बिना कोई लोन या उधार नहीं दे पाएगा। इसके साथ ना ही पुराने कर्जों का नवीनीकरण या ना ही कोई निवेश कर सकता है। आरबीआई ने बैंक पर नई जमा राशि स्वीकार करने पर भी पाबंदी लगा दी है। अब बैंक कोई भुगतान भी नहीं कर सकता है और ना ही भुगतान करने का कोई समझौता कर पाएगा।

गौरतलब है कि बीते साल सितंबर महीने में आरबीआई को पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) में कथित घोटाले की जानकारी मिली थी। इस घोटाले के बाद केंद्रीय बैंक ने बैंक पर पाबंदी लगा दी थी। बैंक को संकट से निकालने के लिए आरबीआई ने 24 सितंबर 2019 को पैसे निकालने पर एक सीमा लगा दी थी।

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लक्ष्मी विलास बैंक पर भी कार्रवाई

आरबीआई ने इससे पहले मंगलवार को वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर कार्रवाई की है। आरबीआई मे एक महीने तक के लिए बैंक पर पाबदी लगा दी हैं। इस पाबंदी के मुताबिक, बैंक का कोई खाताधारक ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये तक ही निकाल सकता है। बैंक की खराब वित्तीय हालत के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।

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आरबीआई ने इस मामले पर कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि उसके पास कोई विश्वसनीय रिवाइवल प्लान नहीं था। आरबीआई के मुताबिक, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा और वित्तीय और बैंकिंग स्थिरता को देखते हुए उसने यह किया है।

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रिजर्व बैंक ने आगे बताया कि लक्ष्मी विलास बैंक की वित्तीय स्थिति में बड़ी गिरावट आई है। जिस कारण बैंक को तीन सालों से नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिससे इसकी नेटवर्थ कम हुई है। बैंक के लगातार नकारात्मक नेटवर्थ और नुकसान के समाधान के लिए पर्याप्त कैपिटल जुटाने में असफल रहा। साथ ही इसने डिपॉजिट का लगातार विद्ड्रॉल और लिक्विडिटी का कम स्तर भी अनुभव किया है। केंद्रीय बैंक ने इस पर भी जोर दिया कि लक्ष्मी विलास बैंक में गंभीर गवर्नेंस मामले सामने आए हैं।

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