भारत की आर्थिक वृद्धि को नोटबंदी से झटका लगा: रघुराम राजन

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन एक फिर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में बोला है। एक बार फिर नोटबंदी पर टिप्पणी करते हुए रघुराम राजन ने कहा कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटा दी। उन्होंने कहा अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा। वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही।

Update: 2018-12-17 14:56 GMT

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन एक फिर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में बोला है। एक बार फिर नोटबंदी पर टिप्पणी करते हुए रघुराम राजन ने कहा कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटा दी। उन्होंने कहा अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा। वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही।

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बैंकों के साथ घपलेबाजी करने वालों की सूची के बारे में राजन ने कहा कि एक सूची थी, जिसमें बड़े-बड़े घोटालेबाजों के नाम थे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंपी गई बड़े लोन डिफॉल्टरों की सूची के बारे में राजन ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि ये मामले अब कहां हैं।

पूर्व गवर्नर ने कहा कि ऐसे समय में, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि दर्ज कर रही है, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नोटबंदी के चलते उल्लेखनीय रूप से प्रभावित हुई। रघुराम राजन ने कहा कि उन्होंने ऐसे अध्ययन देखे हैं जिनसे पता चलता है कि नवंबर, 2016 में ऊंचे मूल्य के नोटों को बंद करने से भारत की वृद्धि दर पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा।

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राजन ने कहा, 'शुद्ध रूप से मेरी राय है कि नोटबंदी ने हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। अब मैंने ऐसे अध्ययन देखे हैं जिनसे इसकी पुष्टि होती है। हमारी वृद्धि दर सुस्त पड़ी है।' राजन ने सोमवार को एक न्यूज चैनल से साक्षात्कार में कहा, 'वैश्विक अर्थव्यवस्था 2017 में अधिक तेज रफ्तार से बढ़ी है।

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पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा, कोई मुझे जीएसटी विरोधी करार दे, उससे पहले मैं कहना चाहूंगा कि दीर्घावधि में यह अच्छा विचार है। लघु अवधि में इसका असर पड़ा है।' यह पूछे जाने पर कि क्या उनसे रिजर्व बैंक गवर्नर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उनसे नोटबंदी को लागू करने को कहा गया था, पूर्व गवर्नर ने कहा कि उनसे ऊंचे मूल्य की करंसी को प्रतिबंधित करने पर राय पूछी गई थी। उन्होंने कहा कि उनकी सोच में नोटबंदी 'खराब विचार' था।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को टेलिविजन पर अपने संबोधन में 500 और 1,000 के नोट को बंद करने की घोषणा की थी। उस समय सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से कालेधन, जाली मुद्रा और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम कसी जा सकेगी। राजन सितंबर, 2013 से सितंबर, 2016 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे।

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जीएसटी पर विस्तार से अपनी राय रखते हुए राजन ने कहा कि इस सुधारात्मक कर प्रणाली को अधिक बेहतर तरीके से लागू किया जाना चाहिए था। यह पूछे जाने पर कि क्या जीएसटी में 5 अलग स्लैब के बजाय एक कर होनी चाहिए थी, राजन ने कहा कि यह बहस का विषय है। उन्होंने कहा, 'मेरे विचार में, जो एक वैकल्पिक विचार है, आप एक बार जो काम करते हैं तो आप को समस्याओं का पता लगता है।उसके बाद उसे एक-एक करके ठीक करते हैं। इसलिए यह (प्ररंभिक समस्य) होनी ही थी।'

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