धर्म की आड़ में धोखा: ‘हलाल’ के नाम पर 40 हजार को ठगा

Update:2019-06-28 16:58 IST

बंगलुरु: कर्नाटक का ‘आईएमए’ यानी ‘आई मॉनेटरी एडवाइजरी’ घोटाला कम से कम २ हजार करोड़ रुपए और ४० हजार लोगों से जुड़ा हुआ है। इस घोटाले ने राज्य में कई राज उजागर किए हैं जिसमें कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता तक शामिल हैं। इनमें राजस्व मंत्री आर.वी. देशपांडे और कांग्रेस विधायक रोशन बेग के नाम भी हैं हालांकि दोनों ने अपनी संलप्तिता से इनकार किया है।

ये घोटाला १० जून को उजागर हुआ जब आईएमए के संस्थापक मोहम्मद मंसूर खान का एक क्लिप वायरल हुआ जिसमें खान ने विधायक बेग व अन्य सरकारी अधिकारियों पर भ्रष्टचार के आरोप लगाए हैं। वीडियो में खान ने कहा है कि वह लोगों का पैसा वापस नहीं कर पा रहा है क्योंकि कांग्रेस विधायक रोशन बेग उसके ४०० करोड़ वापस नहीं कर रहे हैं।

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बताया जाता है कि क्लिप वायरल होने से पहले ही खान ८ जून को अपनी दुकान से जवाहरात लेकर विदेश (संभवत: दुबई) भाग गया। बताया जाता है कि खान ने अपने परिवार को पहले ही भारत से बाहर भेज दिया था। खान ने बंगलुरु हवाई अड्ड से विदेश की उड़ान भरी थी। पुलिस ने उसकी दो लक्जरी कारें एयरपोर्ट से बरामद की हैं। इस घटनाक्रम के बाद से निवेशक आईएमए के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं, अपना पैसा वापस मांग रहे हैं। जिस तरह शिकायतकर्ताओं की भीड़ बढ़ी उसके बाद पुलिस ने लोगों की शिकायतें दर्ज कराने के लिए विशेष काउंटर खोल दिए। पहले दो दिन में १० हजर लोगों ने शिकायत दर्ज कराई और अब ये संख्या ४० हजार पहुंच गई है। इसके अलावा आईएमए के २०० कर्मचारियों के लिए अलग काउंटर बनाया गया है जिन्होंने बैंकों से लोन लेकर आईएïमए में निवेश किया था और अब उनकी नौकरियां की जाती रही हैं। पुलिस का कहना है कि निवेशकों को गुस्से से कर्मचारियों को बचाने के लिए अलग इंतजाम किए गए हैं। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिह एसआईटी का गठन किया है।

पहले भी भाग चुकी हैं कंपनियां

बंगलुरु में पिछले कुछ वर्षों में तमाम कंपनियां निवेशकों का पसा लेकर भाग चुकी हैं। इन कंपनियों ने मुस्लिम मध्यम वर्ग को निशाना बनाया जिनके पास पश्चिम एशिया में नौकरी या छोटा बिजनेस करके पैसा आया था। कर्नाटक सरकार ने इन कंपनियों के खिलाफ निवेशक सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई भी की है। इसके बावजूद आईएमए लोगों को बेवकूफ बनाने में सफल हो गई।

2018 में खुली परतें

आईएमए के धंधे की परतें अक्टूबर २०१८ में खुलनी शुरू हुईं। जैसा कि मोहम्मद मंसूर खान ने २३ जून के एक वीडियो में स्वयं स्वीकार किया, ‘हमें २००० से ३५०० करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। फिर एक महीने के रिटर्न के पेमेंट में देर हुई। लोग हमें धमकाने के लिए फर्म के दफ्तरों में गुंडों को भेजने लगे। मुझे अपने आप को बचाना था।’ खान के अनुसार उसकी कंपनी की स्कीमों से २१ हजार परिवारों को फायदा हुआ है। जब कंपनी का घाटा बढऩे लगा और निवेशकों को पेमेंट रुकने लगे तो राज्य के राजस्व विभाग ने १६ नवंबर २०१८ को आईएमए और उसके निदशकों की सभी संपत्ति जब्त करने का नोटिस जारी किया। खान और आईएमए लोन लेकर निवेशकों का पैसा वापस करने का वादा करके कार्रवाई से बच निकले। बताया जाता है कि खान को कांग्रेसी विधायक रोशन बेग राज्य के राजस्व मंत्री आर.वी. देशपांडे के पास ले गए थे। उस समय मामला दब गया लेकिन मार्च २०१९ में निवेशकों को पैसा मिलना फिर बंद हो गया। तभी से खान और आईएमए के खिलाफ लोगों की शिकायतें बढऩे लगीं।

क्या था धंधा

आईएमए में हर महीने २.७५ से ८ फीसदी तक के डिविडेंड के वादे पर जनता से पैसा जमा कराया जाता था। कंपनी का कहना था कि वह सोने, जवाहरात और रियल स्टेट मेन बिजनेस करती है।

१२ लाख रुपए गंवा चुके मोहम्मद अकरम नामक ७० वर्षीय निवेशक ने बताया कि लोगों ने आईएमएï पर इसलिए भरोसा किया क्योंकि उसके संस्थापक मोहम्मद मंसूर को समारोहों में राजनीतिक हस्तियों की संगत में देखा जाता था। धार्मिक नेता भी कहते थे कि कंपनी की निवेश योजनाएं इस्लाम के अनुरूप हैं। इसी के चलते बड़ी संख्या में लोगों ने आईएमए में पैसा लगा दिया। कंपनी दावा करती थी कि वह सोने की ट्रेडिंग करती है। इसने अपने को ‘हलाल’ फर्म बताया था जहां निवेशक मात्र जमाकर्ता नहीं बल्कि बराबर के हिस्सेदार थे। कंपनी कहती थी कि वह इस्लाम के अनुरूप ब्याज का काम नहीं करती बल्कि निवेशकों को लाभांश यानी डिविडेंड देती है। कुछ लोगों ने तो आईएमए में निवेश के लिए बाकायदा फतवा तक जारी किया कि ऐसा निवेश हलाल है। एक निवेशक ने बताया कि आईएमए समय से पैसा दे रही थी

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लेकिन इस साल की शुरुआत में अचानक ये बंद हो गया। आईएमए के निवेशकों में ८० फीसदी मुस्लिम समुदाय के थे। दरअसल आईएमए का संस्थापक मोहम्मद मंसूर खान (४६) लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करता था। लोग उस पर इसलिए भरोसा करने लगे क्योंकि वह ‘अल्लाह, कुरान, नमाज’ जैसे शब्दों का खूब इस्तेमाल करता था। वो हमेशा ईश्वर के बारे में बातें करता था जिससे लगता था कि वह सच्चा मुसलमान है और वह कभी मिडिल क्लास के लोगों को धोखा नहीं देगा।

रिजर्व बैंक की चेतावनी भी बेअसर

२००६ में स्थापित आईएमए ने ९ साल बाद वर्ष २०१५ में बड़ा हाथ मारा। रिजर्व बैंक ने इसकी स्कीमों के बारे में चेतावनी भी दीं थीं लेकिन उनका कोई असर नहीं हुआ। २०१८ में आयकर की जांच भी हुई थी और कर्नाटक सरकार द्वारा कंपनी की संपत्तियां जब्त कर ली गईं थीं।

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